रिहाई की हड़बड़ी क्यों? मृत कैदी के साथ-साथ माले ने भी दे दी नीतीश को टेंशन

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पटना : डीएम कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने की हड़बड़ी ने बिहार सरकार के पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। इसी को मुद्दा बनाकर आज भाजपा ने बिहार सीएम पर जमकर हमला किया। बिहार सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के साथ ही जिन 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया, उसमें एक ऐसे कैदी की भी रिहाई का आदेश जारी हुआ है जो सालभर पहले ही मर चुका है। यही नहीं आनंद मोहन की रिहाई को मुद्दा बनाकर अब नीतीश सरकार को सपोर्ट कर रही सीपीआई एमएल ने भी अपने कैदियों को रिहा करने की मांग शरू कर दी है। इसके लिए 28 अप्रैल को बिहार बंद की कौल भी दी गई है।

आनंद मोहन पर खुल गई सिस्टम की पोल

बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने आज बुधवार को ट्वीट किया कि—’चौपट राजा ने बिहार को अंधेर नगरी बना दिया है। यहां मृत कर्मचारियों का स्थानांतरण होता है, मृतकों के खिलाफ आदेश निकलता है। अब 27 कैदियों की रिहाई में पतिराम को भी छोड़ा जा रहा है जिसकी पहले ही मृत्यु हो चुकी है। काश उस दलित को भी जीते जी न्याय मिलता’। पतिराम बक्सर जेल में बंद था और उसकी मृत्यु सालभर पहले ही हो चुकी है।

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सरकार में शामिल सहयोगी दल ने बढ़ाई चिंता

इधर बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई की घोषणा के साथ ही नीतीश सरकार में शामिल और उसे समर्थन दे रही भाकपा माले ने अरवल के भदासी कांड में बंद अपने समर्थक कैदियों की रिहाई की मांग उठा दी है। ये कैदी टाडा कानून में बंद हैं और 14 साल से जेल में सजा काट रहे हैं। अपने सहयोगी दल की इस डिमांड से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारी पसोपेश में पड़ गए हैं। भाकपा माले ने अपनी इस मांग को लेकर 28 अप्रैल को धरना और बिहार बंद की भी बात कही है।

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