कांग्रेस में शामिल होते-होते कांग्रेस की बैंड बजाने लगे PK, आजाद समेत कई को तोड़ा!

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नयी दिल्ली : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति और राजनेताओं को अजब तरीके से गजब नचाने में सफल हो रहे। ताजा कारनामे में उन्होंने जिस कांग्रेस के लिए कभी चुनावी फिल्डिंग तक की और यहां तक कि पार्टी में शामिल होने की बात भी चली, अब उन्होंने उसी कांग्रेस की जबर्दस्त ‘वाट’ लगाने का जुगाड़ कर दिया। इसबार उन्होंने तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए ऐसी राजनीतिक बैटिंग की है कि देशभर से कई कांग्रेसियों के तृणमूल ज्वाइन करने के बाद अब आज खबर है कि हरियाणा के दिग्गज कांग्रेसी अशोक तंवर और बिहार के कीर्ति आजाद ने भी तृणमूल का दामन थामने का ऐलान कर दिया।

ममता के लिए तोड़फोड़, राहुल के करीबी को साधा

जब से प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल के लिए काम शुरू किया लगातार उनका कद ममता बनर्जी की निगाह में बढ़ता गया। अब तो तीसरी बार ममता ने बंगाल में सत्ता भी हासिल कर ली। जीत के बाद बढ़े मनोबल वाली ममता और तृणमूल कांग्रेस को प्रशांत किशोर ने देशभर में अपनी पार्टी के विस्तार के लिए आक्रामक रणनीति का खाका समझा दिया। लेकिन इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ रहा है।

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गोवा, बिहार, असम समेत देशभर में भगदड़

यही कारण है कि कांगेस ने इस वर्ष गोवा से बिहार, असम और त्रिपुरा तक अपने कई बड़े और जमीनी नेताओं को खोया। सभी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। अब तृणमूल कांग्रेस हरियाणा में भी कांग्रेस को बड़ा नुकसान देने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार आज मंगलवार को वहां के बड़े कांग्रेसी अशोक तंवर ममता की मौजूदगी में नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं।

बिहार के कांग्रेसी कीर्ति आजाद भी डोल गए

पीके ने ममता के लिए कांगेस में दूसरा ताजा शिकार बिहार में कांग्रेस के बड़े चेहरे कीर्ति आजाद का किया है और उन्होंने भी पार्टी छोड़ तृणमूल ज्वाइन करने की पुष्टि कर दी है।
माना जाता है कि अशोक तंवर राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे हैं और अजय माकन के बहनोई भी हैं। वे सिरसा से सांसद रहने के अलावा यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे।

बहरहाल तृकां सुप्रीमो ममता बनर्जी की मौजूदगी में अशोक तंवर दिल्ली में उनका दामन थाम सकते हैं। ममता के इस दिल्ली दौरे ने उनके और कांग्रेस के बीच बढ़ रही दूरी को और स्पष्ट कर दिया है। पहले दिल्ली आने पर वह सोनिया गांधी से जरूर मिलती थीं।इस बार उन्होंने सोनिया और राहुल से दूरी बना ली है। मतलब साफ है कि कांग्रेस अपनी पार्टी में तृकां की सेधमारी से बहुत नाराज है। उधर बंगाल में भाजपा को हराने के बाद टीएमसी की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। अब वह बिहार, यूपी त्रिपुरा, गोवा समेत कई राज्यों में विस्तार में जुटी है।

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