क्या है NDA का वोटबैंक तोड़ने वाली लालू की नई रणनीति? सवर्ण वोट में सेंधमारी!

0

पटना : बिहार में ब्रह्मर्षी समाज के बड़े चेहरे के तौर पर उभरते नेता और एमएलसी सच्चिनंद राय ने पिछले दिनों पटना में राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की थी। कहने को तो यह मुलाकात लालू की तबीयत का हालचाल लेने के लिए महज एक शिष्टाचार मेल मिलाप वाला था। लेकिन सियासी गलियारे से अब जो बातें बाहर निकलकर सामने आ रही हैं, वह भाजपा के लिए कान खड़ा कर देने वाली हैं। क्योंकि बिहार में भाजपा का एक बड़ा वोटबैंक न सिर्फ उससे बेहद नाराज है, बल्कि वह अपने लिए राजद और जदयू में सम्मान की तलाश भी करने लगा है। एमएलसी सच्चिदानंद राय की राजद सुप्रीमो लालू से मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

ई. सच्चिदानंद राय से लालू की मुलाकात के मायने

राजद के एक उच्चपदस्थ पार्टी सूत्र ने बताया कि अब उनकी पार्टी अपने बेस वोटबैंक के अलावा विरोधी दल भाजपा और जदयू के वोटबैंक को अपने पाले में लाने पर काम कर रही है। राजद के लिए मुस्लिम और यादव का ‘माय’ समीकरण पूरी तरह एकजुट है। अब हमारे नेता लालू—तेजस्वी सवर्ण वोटबैंक को पार्टी से जोड़ने पर मेहनत कर रहे हैं। यह हमारी रणनीति भी है और बोचहा उपचुनाव में हमें इसका रिजल्ट भी देखने को मिला।

swatva

अपने शुरुआती दौर की ताकत तलाश रहे लालू

दरअसल लालू की नई रणनीति वास्तव में नई नहीं बल्कि काफी पुरानी है। शुरुआती दौर में लालू की जीत में भूमिहार समाज के बड़े सपोर्ट का हाथ रहा है। जब लालू 90 के दशक में दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरे थे तब सारण में गिरिजा देवी, बैजनाथ पांडेय, मोकामा में दिलीप सिंह और अरवल में अखिलेश सिंह समेत भूमिहार समाज के कई नेता उनसे करीबी रूप से जुड़े हुए थ। इनसे राजद को काफी तकत मिली, लेकिन कालांतर में ये सभी उनसे दूर होते गए। अब लालू एक बार फिर अपनी उसी ताकत को खुद से जोड़ने की नीति पर चल पड़े हैं। कहा जाता है कि लालू ने जमानत मिलने से काफी पहले जेल में रहते हुए ही तेजस्वी और जगदानंद सिंह को भाजपा—जदयू की ताकत तोड़ने पर फोकस करने का निर्देश दिया था।

बोचहा, परशुराम जयंती और अब सच्चिदानंद राय

एनडीए को घेरने वाली लालू की नई रणनीति के पीछे बोचहां विधानसभा सीट पर मिली जीत को माना जा रहा है। यहां राजद ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। बीजेपी की हार में वहां भूमिहार समाज की भाजपा से नाराजगी की बात सामने आई थी। भूमिहार समाज का आरोप है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बनी सरकार में बीजेपी की तरफ से भूमिहार समाज को उचित सम्मान नहीं दिया गया। बीजेपी कोटे से दो डिप्टी सीएम बनाए गए। लेकिन उनमें एक भी भूमिहार नहीं। यही कुछ एमएलसी चुनाव में भी टिकट देने में किया गया।

यूं हुई भाजपा से ब्रह्मर्षी समाज की नाराजगी

इसके साथ ही एमएलसी चुनाव में भी भाजपा ने अपने सीटिंग कैंडिडेट ई. सच्चिदानंद राय को बेटिकट कर दिया और उनकी जगह एक ऐसे प्रत्याशी को उतारा जो उनके सामने कहीं नहीं ठहरता।
ऐसे में सच्चिदानंद राय निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्होंने भाजपा कैंडिडेट को धूल चटा दिया। दूसरी तरफ राजद ने एमएलसी चुनाव में भूमिहार समाज के नेताओं को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत भी दर्ज की। इस पूरे घटनाक्रम को बिहार के ब्रह्मर्षी समाज ने अपने लिये भाजपा की बेरुखी और अपमान माना और एनडीए से किनारा करना शुरू कर दिया।

‘एक मौका दीजिए, निराश नहीं करूंगा : तेजस्वी

बिहार में एनडीए और खासकर भाजपा से ब्रह्मर्षी समाज की बेरुखी की पहली झलक और परिणाम हमें बोचहा चुनाव में दिखा जहां बीजेपी अपनी सीट गंवा बैठी। इधर लालू के निर्देश पर तेजस्वी ने पटना में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच की ओर से आयोजित परशुराम जयंती कार्यक्रम में पहुंचकर ऐलान किया कि—’एक मौका दीजिए, निराश नहीं करेंगे’। इस दौरान भूमिहार समाज के नेताओं ने खुलकर कहना भी शुरू कर दिया कि उन्हें जो भी सम्मान देगा, वह उसके साथ जाएंगे। बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने यह भी कहा कि हमें डराकर अभी तक मूर्ख बनाया जाता रहा है। लेकिन अब नहीं। शायद ई. सच्चिदानंद राय की लालू से ताजा मुलाकात भाजपा के लिए खतरे की आखिरी घंटी है क्योंकि बिहार में प्रशांत किशोर भी अपनी पार्टी लॉन्च करने का ऐलान कर चुके हैं। समझा जा सकता है कि वे किसके वोटबैंक में हिस्सेदारी करेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here