पटना : बिहार में चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए निकली वैकेंसी की आंखों से देश की बेरोजगारी को आंका जा सकता है। हालिया मामला बिहार विधानसभा का है जहां सफाईकर्मी, माली तथा चपरासी पद के लिए निकली 156 सीटों की वैकेंसी के लिए पांच लाख आवेदन पड़े। जब आवेदनों की छंटाई शुरू हुई तो उनमें स्नात्तक, स्नात्तकोत्तर तथा एमबीए व एमसीए पास अभ्यर्थियों के भी आवेदन निकले।
वैसे, साक्षात्कार भी जारी है। औसतन एक पद के लिए तीन हाजार आवेदन पड़े हैं। जानकारी मिली है कि महज तीन सेकेंड में एक इंटरव्यू निबटा दिया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से आवेदन पड़े हैं।
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शिक्षा मंत्री ने कहा सूबे में शिक्षा दर बढ़ी है
सचिवालय व अफसरों की सर्किल में खासा चर्चा का विषय बनी इस वैकेंसी व हाईली क्वालीफाइड युवकों के पड़े आवेदन के बारे में जब शिक्षा मंत्री चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने सपाट तरीके से कहा कि यह बिहार में बढ़ती हुई शिक्षा दर को दर्शाता है।
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सचिवालय में बना चर्चा का विषय
मंत्री ने आगे कहा कि बिहार में क्वालिटी एजुकेशन बढ़ा है। हर वर्ग के लोग पढ़-लिख रहे हैं और शिक्षित हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि संतुलन देखने को मिल रहा है।
यहां बता दें कि पिछले वर्षों में यूपी में भी चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए वैकेंसी निकली थी। उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव थे। जब उन्हें जानकारी मिली कि चपरासी व सफाईकर्मियों के पदों के लिए बड़ी संख्या में इंजीनियर व अन्य क्वालीफाइड युवकों ने आवेदन किया है तब उन्होंने इस पर विमर्श के लिए एक बोर्ड का ही गठन कर दिया था। बाद में जब उक्त पदों के लिए वैकेंसी निकाली जाने लगी तो अहर्ता में लिखा जाने लगा-केवल मैटिक पास के लिए।
बहरहाल, यह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरने वाली बात है कि देश के हाईली क्वालीफाइड युवक माली, गेटकीपर तथा सफाईकर्मियों के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं।