नयी दिल्ली: अक्टूबर माह में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का ऐलान पार्टी ने किया है। लेकिन इसकी चुनाव प्रक्रिया ही पूरी तरह सवालों के घेरे में आ गई है। कई राज्यों में अपनी सत्ता खो चुकी देश की यह सबसे पुरानी पार्टी हाल में गुलाम नबी आजात समेत कई कद्दावर नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से हिली हुई है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के ऐलान के बाद इसके लिए मत डालने वालों के नाम सार्वजनिक न किये जाने से इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठने के साथ-साथ कांग्रेस के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है।
पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में एक मनीष तिवारी ने पार्टी अध्यक्ष चुनाव के लिए मतदाताओं के नाम सार्वजनिक नहीं करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इसे एआईसीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले को मतदाता सूची प्राप्त करने के लिए पीसीसी कार्यालय क्यों जाना चाहिए। ऐसा तो किसी क्लब के चुनाव में भी नहीं होता।
कांग्रेस में पार्टी के अंदर होने वाले इस सबसे बड़े चुनाव में निष्पक्षता पर ही बड़ा प्रश्नचिह्न लगाते हुए मनीष तिवारी ने ट्वीट किया कि ‘सार्वजनिक रूप से उपलब्ध मतदाता सूची के बिना निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कैसे हो सकता है। निष्पक्ष और स्वतंत्र प्रक्रिया का सार है कि मतदाताओं के नाम और पते पारदर्शी तरीके से कांग्रेस की वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाने चाहिए’।