विमोचन : कौन सी फ़िल्म देखें और कैसे देखें? जानिए सिनेशास्त्र से
सिनेमा के शिल्प को समझने में सहायक होगी ‘सिनेशास्त्र’ : सभापति
बिहार विधान परिषद के सभापति ने प्रशांत रंजन की पुस्तक सिनेशास्त्र का विमोचन किया
पटना : कम लोग होते हैं जो सिनेमा जैसे विषयों पर ऐसी पुस्तक लिखते हैं, जिसमें हर उम्र व पेशे के लोग रुचि लें। जो किताब प्रशांत रंजन ने लिखी है, वह ऐसी ही पुस्तक है। सिनेमा के माध्यम से किसी विचार को बहुत अधिक लोगों तक पहुंचा सकते हैं। सिनेमा ऐसा माध्यम है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक को प्रेरित करता है। उक्त बातें बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सोमवार को कहीं। वे विधान परिषद सभागार में फिल्म अध्येता प्रशांत रंजन की पुस्तक ‘सिनेशास्त्र’ के विमोचन के बाद बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। सभापति ने कहा कि सिनेमा के शिल्प को समझने में ‘सिनेशास्त्र’ सहायक होगी। साथ ही यह किताब सिनेमा और साहित्य को भी आगे ले जाएगा। उन्होंने कई फिल्मों के उदाहरण देकर संदेशपरक फिल्मों का महत्व बताया।
सिनेशास्त्र पढ़ने से बढ़ेगी सिनेमा की समझ
वहीं, संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने कहा कि ऐसी फिल्में बनें, जिससे भारत का गौरव खुलकर सामने आए और भारतीय संस्कृति की झलक मिले। उन्होंने ‘मणिकार्णिका’ फिल्म की चर्चा करते हुए देशप्रेम, सामाजिक समरसता, संस्कृति बोध पर आधारित फिल्मों का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि ‘सिनेशास्त्र’ पुस्तक को पढ़ने से हमारी समझ बढ़ेगी। सिनेमा क्या होता है? सिनेमा को कैसे देखना चाहिए? एक दर्शक के नाते फिल्मों की समीक्षा कैसी होनी चाहिए? फिल्म निर्माण में कितना विधाओं का प्रयोग होता है? कितनी प्रकार की आवश्यकता होती है? ये सारी बातें इस छोटी पुस्तक के अंदर में डाली गई है।
इस अवसर पर भारतीय चित्र साधना, नई दिल्ली के सचिव अतुल गंगवार ने कहा कि अब तक फिल्म निर्माण, फिल्म इतिहास और इसके तकनीकी पक्षों पर कई पुस्तकें आ चुकीं हैं। लेकिन, सिनेशास्त्र इन सबसे अलग है, क्योंकि इसने सिनेमा कला को आम लोगों के लिए, आम दर्शकों की दृष्टि से ही लिखी गई है।
सिनेशास्त्र पुस्तक के लेखक प्रशांत रंजन ने पुस्तक के बारे में बताया कि यह पुस्तक हर किशोर, युवा, विद्यार्थी व उनके अभिभावकों को पढ़ना चाहिए, क्योंकि सिनेमा को हम भले ही पसंद या नापसंद करें, लेकिन सिनेमा हमारे जीवन को प्रभावित करता है। यह पुस्तक बड़े हो रहे हर बच्चे के लिए आवश्यक है, ताकि वह खुद को बुरे प्रभावों से बचा सके।
सिनेशास्त्र पुस्तक के प्रकाशक राकेश प्रवीर ने कहा कि समाज को सही दिशा देने वालीं पुस्तकें सहज व सस्ते दर पर पाठकों के लिए उपलब्ध हो, यह स्वत्व प्रकाशन की प्राथमिकता है। इससे पूर्व पाटलिपत्र सिने सोसाइटी के सचिव अभिषेक कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और परिचय कराया। मंच संचालन गौरव रंजन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी के सदस्य सुजीत पासवान ने किया।
विमोचन समारोह में सिने सोसाइटी, पटना के पूर्व अध्यक्ष व बिहार के पूर्व गृहसचिव आरएन दास, जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कला समीक्षक विनोद अनुपम, वरिष्ठ फिल्मकार रीतेश परमार, डॉक्यूमेंट्री निर्माता राज्यव्रत सिंह, पटना कॉलेज में हिंदी की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी विभा, कवि डॉ. प्रणव पराग, कानूनविद डॉ. नीरज कृष्ण, डॉ. शत्रुघ्न किशोर समेत राजधानी के विभिन्न कॉलेजों के जनसंचार विभाग के शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित थ।