विकास की मौत पर राजनीति के बीच उसके गांव में जश्न, कहा-पापी का हुआ अंत

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नयी दिल्ली : कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड गैंगस्टर विकास दुबे की आज शुक्रवार तड़के हुए एनकाउंटर पर जहां राजनीति भी शुरू हो गई है, वहीं विकास के गांव वालों ने उसकी मौत पर खुशी का इजहार किया है। यूपी एसटीएफ द्वारा गाड़ी पलटने और विकास के वहां से पुलिसकर्मियों का हथियार छीन भागने वाली थ्योरी पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तंज किया कि एसटीएफ की गाड़ी नहीं पलटी, बल्कि यूपी सरकार पलटने से बच गई। लेकिन इन तमाम सवालों के बावजूद विकास के गांव वालों और कानपुर के लोगों ने उसकी मौत पर जमकर जश्न मनाया।

गैंगस्टर विकास के गांव वालों ने मीडिया के सामने खुलेआम कहा कि पापी को सजा मिल गई। ग्रामीणों ने कहा कि सालों से हमलोग विकास की जमीन कब्जा करने की मुहीम और उसकी दबंगई से परेशान थे।

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विकास दुबे गुरुवार सुबह 8:50 बजे विकास महाकाल मंदिर पहुंचा था। बाहर केशव नाम के दुकानदार की फल और पूजन सामग्री की दुकान पर उसने मंदिर में दर्शन को लेकर वीआईपी पर्ची कटाने के बारे में जानकारी मांगी। इसके बाद 250 रुपए में पर्ची कटवाई। केशव को शक हुआ तो उसने मंदिर में तैनात सिक्योरिटी गार्ड राहुल को जानकारी दी। राहुल हिस्ट्रशीटर के पास पहुंचा तो विकास ने उससे कहा कि उसका नाम नवीन पाल है।

इस पर गार्ड ने आईडी मांगी तो विकास ने शुभम दुबे नाम की फर्जी आईडी दिखाई। गार्ड को संदेह हुआ तो उसने महाकाल थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो गार्ड ने विकास को सौंप दिया। जब पुलिस उसे गाड़ी में बैठाने लगी तभी वह जोर से चिल्लाया कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे उज्जैन से से कानपुर ला रही यूपी STF की गाड़ी आज सुबह पलट गई।

बताया जा रहा है कि जब गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई, उस समय विकास दुबे हथियार छीनकर भाग निकलने की कोशिश की। इस दौरान एनकाउंटर में एसटीएफ ने करीब 7 किमी तक विकास का पीछा किया और फिर उसे मार गिराया।

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