विधानसभा में तेजस्वी इन, तेजप्रताप आउट! क्या है राज?

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पटना : लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अचानक तेजस्वी यादव का लंबे समय से सीन से गायब होना यूं ही नहीं। महीने भर से ऊपर के अज्ञातवास के बाद पटना लौटने पर भी वे विधानसभा के मानसून सत्र में पांचवें दिन महज 15 मिनट के लिए सदन पहुंचे। वह भी तब जब सदन में उनके बड़े भाई तेजप्रताप वहां नहीं थे। संकेत साफ है कि तेजस्वी न तो कहीं आराम करने गए थे, और नहीं उन्हें कोई खास बीमारी है। उनके नेतृत्व में राजद की जो दुर्दशा हुई है, उससे वे बेहद खफा हैं और जिन्होंने चुनाव के दौरान उनकी राह में कांटे विछाने का काम किया, उन्हें वह बिल्कुल भी बख्शने के मूड में नहीं। फिर वह कांटे बिछाने वाला उनका बड़ा भाई ही क्यों न हो।

तेजप्रताप को राजद से निकालना चाह रहे तेजस्वी

इसकी बानगी आज विधानसभा में भी तब देखने को मिली जब तेजस्वी सदन में ‘इन’ हुए। यह महज संयोग नहीं हो सकता कि जब तेजस्वी सदन में पहुंचे, तब उनके बड़े भाई तेजप्रताप सदन से ‘आउट’ रहे। इतना ही नहीं, 15 मिनट बाद जैसे ही तेजस्वी यादव विधानसभा से निकले, बड़े भाई तेजप्रताप यादव वहां प्रकट हो गए। यह अलग बात है कि तेजस्वी सार्वजनिक तौर पर आपने पैर की तकलीफ को उनके गायब रहने का कारण बता रहे हैं, लेकिन अटकलों पर विराम लगाने में वे आज भी नाकाम ही रहे।

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दोनों भाइयों ने बनाई एकदूसरे से दूरी

स्पष्ट है कि दोनों भाइयों के बीच अब कुछ भी ठीक नहीं है। तेजस्वी अब तेजप्रताप के साथ सार्वजनिक तौर पर दिखना गंवारा नहीं कर रहे। न तेजप्रताप उनका सामना करना पसंद कर रहे। राजद के एक सूत्र ने बताया कि तेजप्रताप द्वारा चुनाव के दौरान की गई हरकतों से तेजस्वी बेहद नाराज हैं। वे सीधे—सीधे उनके आचरण को चुनाव में राजद को मिली हार की बड़ी वजह मान रहे हैं। ऐसे में वे तेजप्रताप को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने पर अड़े हुए हैं। इसके लिए वे शीर्ष नेतृत्व पर दबाव के लिए ही सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए थे।

तेजप्रताप की हरकतों से मिली चुनावी हार

इधर तेजप्रताप की चुनाव के दौरान की कारगुजारियों पर नजर डालें तो उन्होंने राजद की खाई खोदने में कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी। बार—बार पार्टी से अलग स्टैंड लेकर उन्होंने तेजस्वी के सामने परेशानियां पैदा की। उनके द्वारा लालू—राबड़ी मोर्चा बनाने के कारण राजद कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई। यहां तक कि शिवहर, और जहानाबाद में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ उन्होंने अपने उम्मीदवार भी उतार दिये। इस सबने राजद की राह बहुत मुश्किल कर दी।

लालू की विरासत के लिए हो रही जंग

इधर राजद की चुनाव में हार और उसके बाद तेजस्वी का बिहार से लंबे समय तक गायब रहने को कुछ विश्लेषक लालू कुनबे में विरासत के लिए छिड़ी जंग से भी जोड़ते हैं। उनके अनुसार तेजप्रताप बड़ा होने के कारण अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं। यही कारण है कि उन्होंने चुनाव में तेजस्वी के आगे बार—बार अड़चनें पैदा की। वे जानते थे कि यादि चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी जीत जाएगी तो लालू की विरासत पर उनका दावा पुख्ता हो जाएगा। इसीलिए उन्होंने चुनाव के दौरान तेजस्वी की टांग खींचने का काम किया। बहरहाल, मामला चाहे जो हो, मौजूदा सूरत—ए—हाल राजद की सेहत के लिए तो कहीं से भी ठीक नहीं कहा जा सकता।

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