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विक्टिम कार्ड खेलना चाह रहे जमाती, लागू हो समान नागरिक संहिता : डॉ. जायसवाल

पटना : बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भारत में कोरोना के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाने वाले जमातियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में भारत में मौजूद 70 फीसदी मामलों के तार तबलीगी जमात से जुड़े मिले। अब भी देश के कुल मामलों में 30 फीसदी उन्हीं की देन हैं और अधिकतर मामले उन्हीं से जुड़े संपर्कों में मिल रहे हैं। लेकिन चूंकि यह संक्रामक रोग है और भारत बड़ी आबादी वाला देश है। ऐसे में जब देश में 10 लाख लोग संक्रमित होंगे तो इसमें जमातियों की संख्या केवल 2 फीसदी हो जाएगी। तब यही वह समय होगा जब जमाती अपना ‘विक्टिम कार्ड’ खेलेंगे कि हमारे द्वारा 2 फीसदी ही रोग फैला है तो हमें क्यों दोष दिया जा रहा है?

एक जमात की घटिया हरकत का दोष पूरे समुदाय को नहीं

जमातियों के इसी रवैये के प्रति आगाह करते हुए डॉ संजय जायसवाल ने धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए देश मे समान नागरिक संहिता लागू होने की वकालत की है। राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि समान नागरिक संहिता लागू करना हमारा लक्ष्य होगा। आज देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए इस अनुच्छेद की सबसे ज्यादा जरूरत है।

101 नौकरशाहों के साथ भाजपा, जमात ने किया शर्मिंदा

अपने फेसबुक पर लिखे पोस्ट में डॉ जायसवाल ने कहा कि देश के 101 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी है कि तबलीगी जमात की हरकत के कारण किसी समाज को दोष नहीं दिया जाए। मैं भी पूरी तरह इस मामले में उनके साथ हूं। तबलीगी जमात के विदेशी, पर्यटन के नाम पर देश के साथ धोखाधड़ी करते आए हैं। तबलीगी जमात के लोग मस्जिदों में बैठकर भारतीयों का मुफ्त खाना खाते हैं। शुरुआत में इनके द्वारा फैलाए गए करोना मरीजों की संख्या 70 फीसदी थी। अब घटकर 30 फीसदी हो गई है। भारत में जब 10 लाख लोग संक्रमित होंगे तो इनकी संख्या केवल 2 फीसदी हो जाएगी। फिर यह अपना ‘विक्टिम कार्ड’ खेलेंगे कि हमारे द्वारा 2 फीसदी ही रोग फैला है तो हमें क्यों दोष दिया जा रहा है।

2 लाख लोगों ने पूरे समुदाय को कर​ दिया बदनाम

डा. जायसवाल ने कहा कि तबलीगी जमात के इस घटियापन के लिए पूरे समाज को दोष देना सरासर गलत है। 133 करोड़ लोग सभी नियमों का पालन कर रहे हैं और मुश्किल से 2 लाख लोग नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। लेकिन आज यह सच्चाई है कि देश में धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के बीच की लकीर इन जमातियों के कारण बहुत ही पतली हो चुकी है।