अंग्रेज़ी मानसिकता से बाहर आएं: उपराष्ट्रपति

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Vice President M. Venkaiah Naidu addressing Lokmanthan-2018 in his inaugural speech.

राँची। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि अंग्रेजी भाषा महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे सीखना चाहिए। लेकिन, मातृभाषा को उससे भी अधिक महत्व देना चाहिए। दुर्भाग्य है कि कुछ लोग आज भी अंग्रेजी मानसिकता की बीमारी से ग्रस्त हैं। अंग्रेजी मानसिकता यानी औपनिवेशिक मानसिकता। जो दूसरे ने मनाया उसको श्रेष्ठ कहना और जो अपना मूल है, उसे हीनता के साथ देखना ही अंग्रेजी मानसिकता है। इससे जितना जल्द बाहर आ जाएं, उतना अच्छा है। मातृभाषा हमारी आंख है, जबकि दूसरी भाषाएं चश्मा। ब्रांडेड चश्मा का महत्व तब ही है जब आंख ठीक हो। वे रांची में लोकमंथन के कार्यक्रम भारत बोध: देश, काल, स्थिति के उद्घाटन के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।

Vice President inaugurated Lokmanthan-2018 in Ranchi on Thursday

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकमंथन में भारत बोध पर विमर्श देश के हरेक राज्य में होना चाहिए। इससे युवा पीढी समझेगी कि जो हमारा मूल स्वरूप है, वे वही है जो हजारों साल से हमारे ऋषियों—मुनियों ने और हमारे पूर्वजों ने हमें दिया है। वेद और उपनिषद उन्हीं ज्ञान का संग्रह है। भारत मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए जाना जाता है। आधुनिक भारत में सेक्युलरिज्म शब्द संविधान में बाद में जोड़ा गया। लेकिन, हमारे यहां हरेक भारतीय के डीएनए में पहले से ही इसका वृहदतर रूप यानी सर्व धर्म संभाव विद्यमान रहा है। आज कुछ लोग की बात से आप असहमत होंगे, तो आपको असहिष्णु बोला जाएगा। भारत जैसा सहिष्णु समाज दुनिया में आपको कहीं नहीं मिलेगा।
उन्होंने युवाओं से माता, मातृभाषा व मातृभूमि का आदर करने का आह्वान किया। नायडू ने विवेकानंद, अरविंद और गांधी के कथनों को उद्धृत करते हुए भारत की विराट परंपरा और सर्व कल्याण के ध्येय को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आत्मबोध ही धर्म है। समाजिक कु​रीतियों का अध्ययन एवं उनका प्रतिकार हो तथा समाज की चेतना सतत जागृत रहे इसके लिए लोकमंथन जैसे कार्यक्रम बहुत जरूरी है।
इस पर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि झारखंड से निकला यह विमर्श पूरे भारत को लाभांवित करेगा। झारखंड ऐसे आयोजन को कर खुद को भाग्यशाली मानता है।
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत की प्राचीन गौरव के प्रवाह को आज पूरे देश में संचारित करने के ध्येय से यह आयोजन किया गया है। इसलिए बुद्धिजीवी एवं कर्मशील लोगों के लिए एक साझा मंच तैयार हुआ है, जिसमें भारत बोध को उसके जन, गण एवं मन से तालमेल पर विमर्श हो रहा।
उद्घाटन समारोह में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु, प्रज्ञा प्रवाह के डॉ. दीपक शर्मा, राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा, उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ह्रृदयनारायण दीक्षित, झारखंड पूर्व मुख्यमंत्री अजुन मुंडा, रांची की महापौर आशा लकड़ा समेत कई मंत्री, देश—विदेश के विद्वान, देशभर के विश्वविद्यालयों से आए छात्र—छात्राएं उपस्थिति थीं।

swatva

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