वंशवाद की राजनीति पर चोट करने आ रही ‘अणे मार्ग’

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Initial poster of forthcoming Hindi feature film Anney Marg

भारत की राजनीति में वंशवाद काफी गंभीर मुद्दा है। इसी विषय पर बिहार में एक हिंदी फिल्म आ रही है, जिसका नाम है ‘अणे मार्ग’। फिल्म के निर्देशक रीतेश परमार ने स्वत्व पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि ‘अणे मार्ग’ एक पाॅलिटकल ड्रामा बेस्ड फिल्म है। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग बिहार में हुई है। कुछ भाग नेपाल, झारखंड तथा उत्तर-प्रदेश में फिल्माया गया है। फिल्म की खास बात यह है कि इस फिल्म के निर्माता अमितेश कुमार एवं सुमित कुमार तथा सारे कलाकार व तकनिशियन बिहार के ही हैं। इसकी कहानी, पटकथा लेखन एवं निर्देशन उन्होंने स्वयं किया है। इस फिल्म का निर्माण ‘अशोक कुमार फिल्मस एंड प्रोडक्शन’ तथा एस.एस. फिल्म एंड प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है। यह फिल्म पूरी तरह बनकर तैयार है। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने भी कुछ कट के बाद प्रमाण-पत्र दे दिया है। जल्द ही यह फिल्म सिनेमाघरों तक पहुंचेगी।
रीतेश परमार बिहार के कोसी क्षेत्र (जिला-सहरसा, गांव- सरोजा) से आते हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई सहरसा, पटना तथा दिल्ली से पूरी की है। पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नाताकोत्तर रीतेश परमार की रूचि बचपन से ही फिल्म एवं लेखन में रही है। उन्होंने मात्र दस साल की उम्र में अपना पहला नाटक लिखा था, जिसे लोगों ने काफी सराहा। उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बिहार में फिल्म निर्माण की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने यहीं रहकर फिल्म बनाना प्रारंभ किया। आपने बचपन में ही ठान लिया था कि आप बिहार में रहकर ही फिल्म बनायेंगे और आपके फिल्म में ज्यादातर कलाकार व तकनीशियन बिहार के ही रहेंगे। आपके अनुसार फिल्म के क्षेत्र में बिहार में काफी प्रतिभावान कलाकार व तकनीशियन हैं, जो बिहार में काम नहीं मिलने के कारण मजबूरन यहां से पलायन करते हैं। बिहार फिल्म का बड़ा बाजार होने के बावजूद भी यहां फिल्म निर्माण नहीं होता है। हिंदी फिल्म उद्योग में आज जितने भी बिहार के निर्देशक हैं, अगर वह बिहार में रहकर फिल्म निर्माण करते, तो यहां के कलाकारों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए उन्होंने यह पहल की है और उनका विश्वास है कि उनकी यह पहल एक न एक दिन जरूर रंग लायेगी।
रीतेश परमार अब तक 250 अधिक शाॅर्ट व विज्ञापन फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एक भोजपुरी फीचर फिल्म का भी लेखन व निर्देशन किया है, जो किसी कारणवश अभी सिनेमाघर में नहीं आ पायी है। जब उनसे उनके इस शौक के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसका पूरा श्रेय अपनी मां को दिया। उन्होंने बताया कि उनकी मां को पढ़ने का बहुत शौक रहा है। वह अब तक पढ़ती हैं।
रीतेश परमार अपने अगले प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि वह अभी तीन अन्य फीचर फिल्मों की कहानी पर काम कर रहे हैं। कहानी फाइनल होने के बाद, उनका निर्माण शुरु होगा।

Filmmaker Ritesh Parmar

”राष्ट्रीय स्तर की पार्टी हो या क्षेत्रीय स्तर की। हर चर्चित पार्टी में वंशवाद की परंपरा बनी हुई है। ऐसे में मेरे मन में यह विचार आया कि क्यों न इस मुद्दे पर फिल्म बनायी जाए। मैं पेशे से पत्रकार रहा हूं, इसलिए राजनीति के विषय में मेरी विशेष रूचि है और इसी का फायदा मुझे इसकी पटकथा तैयार करने में मिला।”

— रीतेश परमार

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