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उपेन्द्र ने शिक्षा सुधार के नीतीश मॉडल पर उठाए सवाल?

पटना : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शिक्षा क्षेत्र में सुधार के ‘नीतीश मॉडल’ पर आज सवाल उठाते हुए कहा कि यदि उनकी पार्टी की शिक्षा में सुधार की 25 सूत्री मांगों को मान लिया जाता है तो वह सीट बंटवारे और अपमान की बात भूलकर भी एनडीए का साथ देंगे।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री कुशवाहा ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार की शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए रालोसपा की 25 सूत्री मांग पिछले वर्ष ही पार्टी के सम्मेलन में की गयी थी। पार्टी की ओर से लगातार बिहार की शिक्षा में सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा में सुधार की बात तो दूर इसमें सहयोग भी नहीं कर रही है।
श्री कुशवाहा ने मुख्यमंत्री श्री कुमार के नीतीश मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की जनता उनके इस मॉडल को जानना चाहती है। यह कौन सा मॉडल है, जहां के शिक्षकों को सौ तक की गिनती भी ठीक से नहीं आती है। छात्रों को पढ़ाने की जगह शिक्षक खिचड़ी बांटते हैं। उन्होंने कहा कि शून्य अंक प्राप्त करने वाले को भी टॉपर बना दिया जाता है।

मुद्दे की तलाश में शिक्षा को हथियार बनाना चाह रहे कुशवाहा

रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि नालंदा जिसकी बात श्री कुमार करते हैं, वही नालंदा का मॉडल पहले दुनिया में ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में रौशनी फैलाता था। राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना ही नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेवारी संभालने के बाद वह कई बार सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके थे कि बिहार में जहां-जहां आवश्यकता हो राज्य सरकार निर्धारित मापदंड के अनुरूप केन्द्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव भेजे। राज्य सरकार जहां कहीं भी प्रस्ताव भेजेगी उन स्थानों पर विद्यालय की स्थापना की जाएगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देशभर से केन्द्रीय विद्यालय खोलने के लिए प्रस्ताव आये और उस पर विचार कर एक सौ विद्यालय खोलने की स्वीकृति प्रदान की गयी। बिहार से औरंगाबाद के देवकुंड और नवादा के अलावा एक भी प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद और नवादा का प्रस्ताव मंत्रालय को जल्द से उपलब्ध हो सके इसके लिए व्यक्तिगत रूप से उन्होंने स्वयं रूचि ली और स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़ कर पहल की तब जाकर यह संभव हो सका।
श्री कुशवाहा ने कहा कि औरंगाबाद और नवादा में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना की स्वीकृति मंत्रालय की ओर से 17 अगस्त को ही दे दी गयी थी। इसके साथ ही देश भर के कुल 13 विद्यालयों को भी स्वीकृति प्रदान की गयी थी, जिनमें से अधिकांश विद्यालयों में वर्तमान सत्र में नामांकन के साथ ही पठन-पाठन शुरू हो गया है। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इन सबके बावजूद औरंगाबाद और नवादा में विद्यालय की स्थापना के लिए जमीन के हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेज की अबतक औपचारिकता राज्य सरकार पूरा नहीं कर सकी है। जबकि इससे संबंधित प्रस्ताव पांच माह पूर्व ही भेज दिया गया था।