फोन करते रहे केंद्रीय मंत्री, पर कोई डॉक्टर नहीं आया और हो गई भाई की मौत

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पटना : बिहार के स्वास्थ्य महकमे की सक्रियता कैसी है इसकी बानगी तब दिखी जब केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे डॉक्टरों को फोन करते रहे लेकिन कोई उनके भाई के इलाज को नहीं पहुंचा। श्री चौबे के छोटे भाई हार्ट अटैक आने के बाद भागलपुर के मायगंज अस्पताल लाए गए थे। वे शाम 6 बजे से रात 11 बजे तक इलाज के लिए अस्पताल में छटपटाते रहे, लेकिन कोई डॉक्टर उनके इलाज को नहीं आया। यहां तक कि दिल्ली से मंत्री चौबे भी लगातार डॉक्टरों को फोन कर मिन्नत करते रहे लेकिन इलाज के बिना उनके भाई ने दम तोड़ दिया।

अश्विनी चौबे के छोटे भाई की हो गई मौत

इस मामले ने बिहार सरकार के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी कि स्वास्थ्य महकमे में सबकुछ ठीकठाक है। यहां अस्पतालों में न तो समय पर सीनियर डॉक्टर मिलते हैं और न ही ढंग से इलाज ही मुहैया होता है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के भाई निर्मल चौबे को शुक्रवार की शाम अचानक दिल का दौरा पड़ा। परिजनों ने उन्हें भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन वहां कोई सीनियर डॉक्टर अपनी जगह पर मौजूद नहीं था। जूनियर डॉक्टरों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। श्री चौबे ने दिल्ली से डॉक्टरों को फोन किया कि जाकर उनके भाई को अटेंड करें। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और उन्होंने दम तोड़ दिया।

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इस मामले को लेकर आज शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध-प्रदर्शन और हंगामा किया। हंगामे के बाद एक्शन में आए अस्पताल अधीक्षक असीम कुमार दास ने दो जूनियर डॉक्टरों का निलंबित कर दिया। भाई की जान बचाने के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने स्वयं भागलपुर के कई सीनियर डॉक्टरों और अस्पताल के अधीक्षक को दिल्ली से फोन किया था। लेकिन तब भी कोई सुनवाई नहीं हुई। निर्मल चौबे करीब 60 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन पुत्र हैं।

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