नयी दिल्ली/लखनऊ : महाराष्ट्र, यूपी समेत पूरे देश में विवाद की जड़ बना अजान और हनुमान चालीसा पाठ के लफड़े में जहां शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे बुरी तरह फंस गए हैं, वहीं यूपी में भाजपा के फायरब्रांड सीएम योगी आदित्यनाथ ने सारे मसले को चुटकियों में हल कर दिया। योगी आदित्यनाथ ने एक आदेश द्वारा न सिर्फ धार्मिक आयोजन की अनुमति अनिवार्य कर दी बल्कि मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के आवाज की अधिकतम सीमा भी तय कर दी। इसके लिए योगी बाबा ने सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर, जिसके वे महंत भी हैं, वहां सबसे पहले अपने शासन का आदेश पालन करवाया।
125 लाउडस्पीकर हटे, 17 हजार मस्जिदों की आवाज धीमी
यह योगी के एक्शन का ही असर था कि न सिर्फ मथुरा की विवादित मस्जिद से वहां के व्यवस्थापक ने लाउडस्पीकर उतार लिए, बल्कि समूचे यूपी में धार्मिक स्थलों पर लगे 17 हजार लाउडस्पीकरों की आवाज धीमी हो गई। इसके अलावा 125 ऐसी जगहों से ध्वनि वाले यंत्र हटा भी दिये गए। पुलिस ने कहा कि किसी भी कीमत पर इस संबंध में हाईकोर्ट के आदेशों—निर्देशों का पालन करवाया जाएगा।
योगी का एक्शन मोड, उद्धव ठाकरे Clueless
अगर महाराष्ट्र सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे और यूपी के योगी आदित्यनाथ की तुलना करें तो हम पाते हैं कि शिवसेना मुखिया ने इस प्रकरण में बिल्कुल लचर रुख दिखाया। वे भूल गए कि जिस हिंदुत्व के नारे से उनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी की नींव रखी थी, उसे ही आज सत्ता के लिए मौजूदा सरकार ने ताख पर रख दिया। आलम ये है कि निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की आज पूरे महाराष्ट्र में चर्चा हो रही है। वहीं उनपर हनुमान चालीसा पाठ के लिए देशद्रोह की धारा लगाने से शिवसेना की चारों ओर थू—थू हो रही है। मनसे और भाजपा ने इस मुद्दे पर उद्धव की नींद हराम कर दी है।
दूसरी तरफ यूपी में योगी आदित्यनाथ ने इस विवाद के सतह पर आने के बाद सबसे पहले राज्य भर के 37 हजार हिंदू—मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ संपर्क किया। बैठक में योगी आदित्यनाथ ने अपने फैसले की उन्हें जानकारी दी और इसे हर हाल में लागू करने का फरमान सुनाया। धर्मगुरुओं ने भी इसपर अपनी पूरी सहमति जताई। इसके बाद योगी आदित्यनाथ और उनका शासन एक्शन मोड में आ गया।