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‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग क्यों है देश का विलेन? डा. संजय जायसवाल से जानें!

पटना : मोदी—1 और मोदी—2.0 के काल में समूचे भारत का एक वर्ग कसमसा रहा है। कसमसाहट ऐसी कि कभी ‘टुकड़े—टुकड़े’ वाली हरकत तो कभी देश विरोधी ताकतों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी कारगुजारियों से भारत पर निशाना साधने का मौका फराहम करना। छटपटाहट में इनकी अब बस यही कारकंदगी रह गई है।

हाशिए पर बैठे देशविरोधियों की बिलबिलाहट

लेकिन नतीजा यह कि जहां धारा 370 हटाने के मोदी सरकार के साहसिक और ऐतिहासिक फैसले को देश हाथोंहाथ लिये हुए है, वहीं इन टुकड़े—टुकड़े वालों ने इसे लोकतंत्र पर हमला, तानाशाही बताते हुए आज भी छाती कूट रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट अटैक को तो इन्होंने खारिज किया ही, बल्कि ढंके छिपे तरीके से पाकिस्तान को भारत पर पुलवामा जैसे हमले करने की सलाह देने से भी नहीं चूके। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि भारत में रहने वाले ऐसे लोगों की मंशा आखिर है क्या?

अपनी विचारधारा को फेल होते देख बौखलाए

दरअसल, फाइव स्टार संस्कृति में पले-बढे इन खाए-पिए और अघाए तबके ने एक भ्रम पाल रखा है। इन्हें गुमान है कि वे आम हिन्दुस्तानियों से श्रेष्ठ हैं और आम लोगों को इनके हिसाब से ही चलना चाहिए। यही कारण है कि देश में जब कोई इनसे इतर अपनी लकीर खींचने कोशिश करता है तो ये सभी उसे फासिस्ट, नाजीवादी, तानाशाह आदि अबूझ उपमाओं से नवाजने लग जाते हैं। इस तबके की एक बड़ी गफलत है कि वे अपने कहे वाक्य को ही लोकतंत्र मानते और अपने लिखे हर्फ को ही संविधान जानते हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार ने तोड़ा इनका भ्रम

एक तल्ख हकीकत है कि वर्ष 2014 से पहले देश की सत्ता के गलियारों में इनकी तूती बोलती थी। राडिया प्रकरण याद करें, तो यही जमात तय करती थी कि कौन मंत्री बनेगा और किसे मंत्रिमंडल से बाहर किया जाना चाहिए। लेकिन 2014 के बाद बाजी पलटी। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘राष्ट्र प्रथम’ की अवधारणा में विश्वास करने वाली सरकार आयी। मोदी सरकार का आना इनके लिए किसी आघात से कम नही था और इन ‘साहब बहादुरों’ को इस बात की बेचैनी हो गयी कि आखिर भारतीय जनमानस ने नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद के खिलाफ उनके दुष्प्रचार को नकारने की हिम्मत कैसे की।

झूठे विलाप का तंत्र नहीं कर रहा काम

तब असहिष्णुता का एक नया राग छेड़ा गया। लोकतंत्र को खतरे में बताया गया। नोटबंदी पर विधवा विलाप करते हुए पूरे पांच वर्ष तक यह गिरोह केंद्र सरकार के खिलाफ प्रपंचों में व्यस्त रहा। ये लोग पूरे देश में ‘डर का माहौल’ बताते रहे। लेकिन जनता इनका खेल समझ चुकी थी। इसीलिए 2019 में पहले से भी बड़े बहुमत के साथ मोदी सरकार को दुबारा जीता कर सदन में भेजा।

70 वर्षों में जनता ने जान लिया सच

अब मोदी 2.0 में धारा 370 हटने के बाद इन लोगों की बौखलाहट देश विरोध के तौर पर सामने आने लगी है। इस माहौल में भी यह तबका अपने ही देश में रिफ्यूजी बने कश्मीरी पंडितों को वहां फिर बसाने की बात सुनते ही छाती पीटने लगता है। इन्हें अवैध रूप से भारत में आकर रोहिंग्या के बसने से कोई गुरेज नहीं, लेकिन कश्मीर के मूल निवासी पंडितों की बात सुनते ही इनका हाजमा खराब होने लगता है। यहाँ तक कि खुद को दलितों के सबसे बड़े हमदर्द बताने वाले इन लोगों का खून इस धारा की वजह से कश्मीर में रहने वाले दलितों-पिछड़ों को आरक्षण नहीं मिलने की बात पर भी नहीं खौलता।

लोकतंत्र में अपने विचार के दंभ में हुए बर्बाद

ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या यह ‘कुलीन नामदार विद्वान’ इन हकीकतों से अंजान हैं? जवाब है बिलकुल नही, इन्हें सब पता है लेकिन उसे स्वीकारना इन्हें नागवार गुजरता है। साफ़ शब्दों में कहें तो यह पूरा खेल भ्रष्टाचार और उससे होने वाली अकूत कमाई का है। मोदी राज में देश के इन भ्रष्ट तत्वों के पेट पर पड़ी लात किसी से छिपी नही है। बहरहाल, धारा 370 हटाने के बाद सरकार ने कश्मीर के विकास के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, जिसके सुखद परिणाम जल्द ही दिखाई देंगें।