पटना/सासाराम: बिहार में गठबंधन कोई भी हो। 17 वर्षों से लगातार सुशासन बाबू नीतीश कुमार की सरकार है। इसीलिए बिहार में केवल बहार है। चाहे बिहार और भारत के ऐतिहासिक और पराक्रम के गौरव सम्राट अशोक के शिलालेख पर आज 2022 में बजाप्ता मजार ही क्यों न बना दिया गया हो। लेकिन यह बिहार की कड़वी हकीकत है कि रोहतास के सासाराम में चंदन पहाड़ पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर अतिक्रमण कर मजार बना दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह कि एएसआई ने इसे संरक्षित घोषित कर रखा है।
सारनाथ जाते समय अशोक ने बनवाया शिलालेख
जानकारी के अनुसार, करीब 23 सौ वर्ष पूर्व सम्राट अशोक द्वारा एक लघु शिलालेख सासाराम के चंदन पहाड़ पर बनवाया गया था। इस शिलालेख को सम्राट ने कलिंग युद्ध पश्चात बौद्ध धर्म प्रचार के दौरान सारनाथ जाते समय सासारम के चंदन पहाड़ पर बनवाया था। लेकिन अब सुशासन बाबू के शासन में इस बिहार गौरव सम्राट की अमूल्य कृति पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर मजार बना दिया है।
कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने अपनाया बौद्ध धर्म
अतिक्रमणकारियों का दुस्साहस देखिये कि उन्होंने बजाप्ता वहां गेट लगवाकर ताला भी मार दिया और शिलालेख पर हरे रंग का चादर डालकर उसे ढंक दिया है। पूरी तरह मजार के आकार में। बताया जाता है कि सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया था। वे बौद्ध धर्म का प्रचार करने लगे थे। इसी दौरान धर्म यात्रा के 256 दिन पूरे होने के प्रतीक के तौर पर उन्होंने सारनाथ जाते समय इसे निर्मित कराया।