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तो क्या दरौंदा में बदल गई सुशासन की परिभाषा ?

बिहार का सिवान जिला जो कि देशरत्न भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता था।  लेकिन, पिछले कुछ दशकों से सिवान की पहचान यहाँ के बाहुबली व आपराधिक छवि के नेताओं के कारण है। कुछ समय पहले तक सिवान के बारे में यह कहा जाता था कि शाम 5 बजे के बाद लोग डर के चलते घर से बाहर नहीं निकलते थे। क्योंकि यहाँ के लोगों में राजद के कद्दावर नेता व बाहुबली के रूप में विख्यात शहाबुद्दीन का आतंक था।

लालू के शासन काल में बाहुबली शहाबुद्दीन का ऐसा रूतबा था कि सिवान राजद का गढ़ बन चुका था। लेकिन, जब बिहार में सत्ता के शिखर पर नीतीश का कब्जा हुआ और प्रदेश में भाजपा व जदयू की सरकार बनी लेकिन, सिवान में शहाबुद्दीन का रूतबा बरक़रार रहा। अब ऐसे समय में नीतीश कुमार को शहाबुद्दीन का विकल्प चाहिए था और उस विकल्प के रूप में नीतीश कुमार को मिला अजय सिंह।

जुलाई 2011 में अपनी विधायक मां की मौत के बाद अजय सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर दरौंदा सीट से अपने लिए टिकट माँगा था। लेकिन, सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार ने अजय सिंह को टिकट देने से मना कर दिया क्योंकि, अजय सिंह की छवि इलाके में डॉन की है और हत्या, अपहरण समेत करीब तीस संगीन संगीन मामले दर्ज है ।

ऐसा कहा जाता है कि अजय सिंह की ऐसी छवि होने के बावजूद नीतीश कुमार को दरौंदा सीट पर कब्जा करना था। क्योंकि शहाबुद्दीन का रूतबा कम करने या यूँ कहें लालू यादव को हराने के लिए नीतीश कुमार ने अजय सिंह को यह सलाह दी कि, कोई पढ़ी-लिखी और 25 वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी लड़की से शादी कर लो। नीतीश के सलाह पर पितृपक्ष में ही अजय सिंह ने कविता से विवाह किया। हिन्दू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के समय मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। लेकिन, टिकट के लालच में अजय सिंह ने विज्ञापन छपवाकर लड़की ढूँढा और शादी किया। शादी करने के बाद अजय सिंह व कविता सिंह आशीर्वाद लेने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पहुंचे थे। आशीर्वाद के रूप में नीतीश कुमार ने कविता सिंह को दरौंदा सीट से जदयू का टिकट दिया। जदयू ने कविता सिंह को दरौंदा उपचुनाव में कैंडिडेट बनाया और वो 20 हजार वोटों से चुनाव जीत गई ।

इस बार लोकसभा के चुनाव में यह सीट JDU के खाते में गई और जदयू को कविता सिंह से बेहतर इस इलाके में कोई उम्मीदवार नहीं मिला। और राजद को इस सीट से शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से काबिल उम्मीदवार नहीं मिली । जदयू ने कविता सिंह पर दांव खेला और जदयू के तरफ से टिकट पाने वाली एक मात्र महिला उम्मीदवार कविता सिंह मोदी लहर में सांसद बन गई ।

कविता सिंह को सांसद बनने के बाद दरौंदा विधानसभा सीट खाली हो गई और यहाँ 21 अक्टूबर को उपचुनाव को लेकर मतदान होना है। दरौंदा सीट पर जदयू का कब्जा था और फिर से यह सीट जदयू के ही खाते में गयी है। नीतीश कुमार ने सुशासन की परिभाषा में बदलाव करते हुए आपराधिक छवि के अजय सिंह ( इलाके में डॉन की छवि ह्त्या, अपहरण समेत करीब तीस संगीन मामले दर्ज है ) को सुशासन के दावे को मजबूत करने के लिए दरौंदा से चुनावी मैदान में उतार दिया है। राजद ने दरौंदा सीट पर उमेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।