केंद्रीय विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म, लेकिन…

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दिल्ली : केंद्र सरकार ने देशभर के विश्वविद्यालयों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने के लिए अपने नियम में बदलाव की है। दरअसल, कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने अहम निर्णय लेते हुए बताया कि इस साल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म कर दी गई है। लेकिन, यह राहत सिर्फ इसी सत्र के लिए होगा।

इस बात की जानकारी देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि छात्रों की मांग थी कि कोरोना के कारण उनका पीएचडी कंप्लीट नहीं हो पाया है। इसे देखते हुए सरकार की तरफ से कुछ सकारात्मक निर्णय लिया जाए। प्रधान ने बताया कि छात्रों के हितों का ध्यान रखने के लिए यह फैसला लिया गया है।

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शिक्षा मंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस प्रक्रिया में और तेजी लाने के लिए यह निर्णय भारत सरकार के द्वारा ली गई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह राहत सिर्फ इसी सत्र के लिए मान्य होगा।

ज्ञातव्य हो कि मौजूदा समय में देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के करीब 6300 के करीब पद खाली हैं। इन रिक्त पदों को भरने के लिए बहाली की प्रक्रिया तेजी से जारी है।

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