पटना : 17वीं लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद कांग्रेस 2020 में होने वाले बिहार विधान सभा चुनाव में अकेले लड़ने का मन बना रही है। बिहार में लोकसभा चुनाव में राजद के ख़राब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब उसे अपने बड़े भाई की भूमिका नहीं देना चाहती। इस आशय के संकेत कुछ पुराने और अनुभवी कांग्रेस नेताओ से मिले है। लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की कमी काफ़ी खली और लालू के दोनों पुत्रों की आपसी कलह ने महागठबंधन का बंटाधार कर दिया। इससे कांग्रेस के नेता अब राजद से दुरी बनाने में ही पार्टी की भलाई मानते है।
कांग्रेस जो लालू के भरोसे बिहार विधान सभा या लोकसभा के चुनावो में अब तक चुनाव लड़ती आ रही है। पर इस बार के परिणामो ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया है कि वह अब बिहार की अगली विधान सभा चुनाव अकेले या यू कहे की वह अपने पुराने साथी राजद के बगैर ही लड़ने की योजना बना रही है।
बिहार विधान सभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने उक्त बाते कही। उन्होंने परिणाम का सम्मान किया और कहा की महागठबंधन की हार की वजह आपसी कलह, तलमेल का अभाव और टिकट बटवारे में देरी हार का कारण है। उन्होंने कहा की कांग्रेस को आत्म चिंतन और आत्ममंथन करने की जरुरत है। राजद के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा की राजद अधिक सीटो पर चुनाव लड़ी थी और उसका सूपड़ा ही साफ हो गया है।
शिवानन्द तिवारी ने किया पलटवार
कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए शिवानन्द तिवारी ने कहा कि हम पर आरोप लगाने से पहले उन्हें अपने घर में झाकने की जरुरत है। यूपी और दिल्ली में कांग्रेस गठबंधन नहीं कर पाई। उन्होंने यह भी कहा की राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष है और वे खुद ही अमेठी से चुनाव हार गए है। अमेठी, जो कांग्रेस की पारंपरिक सीट हुआ करती थी। राजद पर हार का ठिकरा फोड़ना सही नहीं है उन्हें भी आत्ममंथन करने की जरुरत है।