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संतुलित विकास के लिए निर्णय लेने का समय : दत्तात्रेय होशबाले

पटना : राजधानी पटना स्थित बिहार उद्योग संगठन परिसर में बबुआ जी स्मृति एवं शोध संस्था के तत्वाधान में ‘‘लोकशनल कोन्फ्लिक्ट्स इन पटना: ए स्टडी इन अर्बन पोलिटिकल जियोग्राफी’’ पुस्तक का विमोचन मंगलवार को  किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होशबाले  थे।

इस पुस्तक का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होशबाले ने कहा कि प्रकृति की विनाश की कीमत पर गांव शहरों में विलिन होते जा रहे है। कृषि भूमि पर कंक्रीट के जंगल उगते जा रहे है। अब हमें निर्णय करना होगा होगा कि प्रकृति सानिधय में समांजस्व व संतुलित विकास के लिए हमें क्या करना चाहिए। विशेषज्ञों के अध्यन के बाद तैयार रिर्पोटों को दर किनार कर राजनितिक गलियारे, ठेकेदारी, जमीन माफिया के प्रभाव में निर्णय  लेने कि पुरानी परंपरा समाप्त होनी चाहिए।

वे डॉ. संजीव कुमार की पुस्तक ‘‘लोकशनल कोन्फ्लिक्ट्स इन पटना: ए स्टडी इन अर्बन पोलिटिकल जियोग्राफी’’ का बीआईए सभागार पटना में विमोचन कर रहे थे। उन्होंने कहा की प्रकृति संरक्षण की बात करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए हमें अपने  जीवन व व्यावहार में बदलाव लाना होगा। यदि हम आधुनिक विकास की कामना करते हैं तो वह प्रकृति की विनाश से ही संभव होगा। विशेषज्ञ बताते है कि प्रकृति की विनाश की किमत पर विकास से नई बीमारियां पैदा हो रही है। उन्होंने कहा पोलिटिकल जियोग्राफी के साथ-साथ कलचरल जियोग्राफी की भी बात होनी चाहिए। विकास व विनाश के बीच संघर्ष व उसके परिणाम को लेकर अनंत काल तक वाद-विवाद चल सकता है लेकिन सुखद परिणाम के लिए प्रकृति के साथ सामांजस्व व संतुलन बनाना ही होगा। शहरों की विस्तार की जगह विकेंद्रीकरन से समस्या का समाधन संभव है।

विकास से जुड़े स्थानीय विवादों का अध्ययन

वहीं, इस पुस्तक का परिचय देते हुए लेखक डॉक्टर संजीव कुमार ने कहा कि यह पुस्तक विकास से जुड़े स्थानीय विवादों का अध्ययन है। उन्होंने कहा कि विकास आवश्यक है परंतु विकास विभाग को जन्म देती है। यह पुस्तक पटना के विकास और उसके कारण हुए विवादों का विस्तृत अध्ययन करती है। कई स्थानों पर समुचित विकास के अभाव नहीं विवाद को जन्म दिया है। इस पुस्तक में उन सभी विषयों का वर्णन है।

सरकार बदलने के साथ-साथ समस्याओं का स्वरूप भी बदलता

वहीं, इस पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए प्रो. टी. एन.सिंह. ने कहा कि सरकार बदलने के साथ-साथ समस्याओं का स्वरूप भी बदलता है वर्ष 2000 से 2005 तक बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी उस दिन पानी व बिजली की समस्या को पटना वासी प्रतिबिंब खेलते थे। पटना से बनारस आने के लिए 14 घंटे का सफर करना पड़ता था लेकिन आज इनमें सुधार हुई है। लेकिन वर्तमान सरकार में ट्रैफिक की समस्या और सड़क की समस्या बढ़ी है।

पटना के विकास और उससे जुड़े विवादों का एक सच

वहीं प्रोफेसर बी. सी. वैद्यया ने बताया कि यह पुस्तक पटना के विकास और उससे जुड़े विवादों का एक सच है। प्रत्येक समस्या विवादों को जन्म देती है। विवाद के मूल में मोहल्ले में रहने वाले लोगों की मानसिकता तथा आर्थिक व सामाजिक पृष्ठभूमि भी काफी महत्वपूर्ण होती है। इसके साथ ही उन्होंने बबुआ जी के बारे में कहा कि बबुआ जी पहले ऐसे संघचालक थे जो स्वयंसेवक बाद में बने पहले संचालक ही बन गए। बबुआ जी हमेशा राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए सोचते रहते थे।

वहीं, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही अस्मिता ने कहा कि उत्तर में पटना के बिजली संकट नल में जल का अभाव ठोस कचरा प्रबंधन शिविर समस्या जलजमाव सड़क अतिक्रमण ट्रैफिक समस्या इत्यादि का अध्ययन कर उसके बारे में लिखा क गया है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के लेखक बचपन से पटना में रहे हैं इसलिए पटना के विकास और उससे जुड़े विवाद के वे खुद साक्षी रहे हैं। वहीं, इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बिहार सरकार और भाजपा के कई नेता भी शामिल हुए।