दलितों का नरसंहार करवाने वालों को अब उनकी नौकरियों से डर लगने लगा: मांझी

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पटना: बिहार विधान सभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेला है। सीएम नीतीश ने अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सर्तकता मीटिंग में आदेश दिया कि अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है, वैसी स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान बनायें। सीएम नीतीश ने अधिकारियों से कहा कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं ताकि पीड़ित परिवार को लाभ दिया जा सके।

नीतीश के इस फैसले को लेकर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दलितों की हत्या का प्रोमोशन कर रहे हैं। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस तरह की घोषणा करके दलितों की हत्या चाहते हैं। चुनाव से पहले नीतीश कुमार दलितों का वोट पाने के लिए हत्या का प्रचार कर रहे हैं। साथ ही तेजस्वी ने यह भी कहा कि यह योजना सिर्फ दलितों के लिए क्यों है? क्या अन्य जाति के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है।

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राजद द्वारा सवाल खड़े किये जाने के बाद जीतन राम मांझी ने पलटवार करते हुए कहा कि इस क़ानून पर सवाल उठाने वाले पहले पढ़ाई लिखाई करें,ये क़ानून केन्द्र सरकार ने दशकों पहले बनाया था पर लालू यादव ने लागू होने नहीं दिया। दलितों का नरसंहार करवाने वालों को अब दलितों के नौकरियों से डर लगता है, लालू परिवार नहीं चाहता है कि कचरा साफ़ करने वाला,टॉयलेट धोने वाला सरकारी नौकरी करे, काश वैसे टॉयलेट साफ़ करने वाले के घर में पैदा होतें तो उनका दर्द समझतें।

साथी ही मांझी ने कहा कि जो लोग SC/ST परिवार के सदस्य की हत्या होने पर उनके परिवार के सदस्य को नौकरी देने के मुख्यमंत्री जी के फ़ैसले का विरोध कर रहें हैं उनसे आग्रह है कि वह पहले एक्ट को पढ लें,यह क़ानून 1989 का है जिसकी धारा3(2)5 के तहत रोज़गार देने का प्रवधान है।

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