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एनडीए में सीट शेयरिंग का यह होगा फार्मूला! लोजपा को संतुष्ट करना होगा मुश्किल

चुनाव आयोग द्वारा तय समय पर ही बिहार में विधानसभा चुनाव कराने के संकेत के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सुगबुगाहट काफी तेज हो गई है। कुछ राजनीतिक जानकारों बिहार को सियासत की राजधानी कहते हैं तो कुछ लोग राजनीति की प्रयोगशाला, क्योंकि सामाजिक विविधता, गरीबी, जाति आधारित राजनीति व राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण यहां राष्ट्रीय पार्टी की तुलना में क्षेत्रीय पार्टी का दबदबा कहीं ज्यादा है। बिहार की सभी क्षेत्रीय पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन है। इसको लेकर चुनाव के समय में सीट शेयरिंग को लेकर काफी माथापच्ची देखने को मिलता है।

इसी क्रम में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में मंथन जारी है। एनडीए यानी भाजपा, जदयू व लोजपा के बीच सीटों को लेकर काफी सस्पेंस बना हुआ है। लेकिन, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एनडीए के अंदर सीटों को लेकर बातचीत आखिरी चरण में है। अगले कुछ दिन में यह तय हो जाएगा कि कौन पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 25 अगस्त के बाद बिहार में भाजपा के कद्दावर नेताओं का दौरा शुरू होना वाला है। इससे दौरे के बीच सीट शेयरिंग की बात फाइनल हो जाएगी।

सूत्रों की मानें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के बीच 110, 100 तथा 33 सीटों पर सहमति बनती दिख रही है! यानी जदयू 110 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, भाजपा 100 सीटों पर तथा लोजपा 33 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस मसले पर विस्तार से चर्चा जारी है और अगले कुछ दिन में सहमति बन जाएगी।

विदित हो कि 2015 के चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को बड़े भाई की भूमिका खत्म करते हुए अपने समकक्ष बिठा दिया था तथा चुनाव के बाद लालू यादव बड़े भाई की भूमिका में आ गए थे। लेकिन, अगर इस बार 110, 100 और 33 के फॉर्मूले पर सहमति बनती है तो चुनाव से पहले एक बार फिर बड़े भाई की भूमिका में हो जाएंगे। जो कि 2005 व 2010 में भाजपा के साथ गठबंधन में रह चुके हैं।

वहीं लोजपा का मानना है कि लोकसभा के आधार पर सीटों का बंटवारा होना चाहिए और इस आधार पर लोजपा को 42, जदयू की 96 तथा भाजपा को 105 सीटें मिलनी चाहिए।

दलित के नाम पर परिवार तथा अगड़ों की राजनीति करने वाली लोजपा द्वारा 42 सीटों ओर दावा ठोकने के बाद यह चर्चा आम है कि आखिर लोजपा के पास इतने उम्मीदवार हैं या नहीं। इस मसले पर जानकारों का कहना है कि चिराग के हाथ में लोजपा की कमान आने के बाद चिराग ने विभिन्न जिलों के कई युवा व ताकतवर नेताओं को पार्टी में मिला लिया। उनमें तो कुछ ऐसे हैं, जो स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में कहीं दो तो कहीं चार हजार मतों से पीछे रहे थे। इनमें कुछ जिला परिषद अध्यक्ष हैं तो कुछ बड़े ठेकेदार।

इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक लोजपा ने करीब 50 ऐसे युवकों को लोगों को पार्टी से जोड़ रखी है जो टिकट के प्रबल दावेदार हैं तथा उन 50 लोगों के बारे में कहा जाता है कि बिहार में तथा कलियुगी राजनीति के अनुसार धन, बल और संख्या से ये सारे लोग सम्पन्न हैं।

लेकिन, यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि
भाजपा और जदयू कितनी सीटें छोड़ेंगी लोजपा के लिए? जिसका जवाब फिलहाल दोनों पार्टियों के पास नहीं है।