‘सांस्कृतिक प्रभावक’ बनने का यह बिल्कुल सही समय- शेखर कपूर
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा ‘भारतीय सिनेमा और सॉफ्ट पावर’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने कहा कि एशियाई देशों के लिए विश्व की प्रमुख संस्कृति बनने का यही बिल्कुल उपयुक्त समय है। जब मैं युवा था तो एक समय ऐसा भी आया था जब मैं अमेरिकियों की तरह ही बनने की ख्वाहिश रखता था। इसका मुख्य कारण अमेरिकी मीडिया का व्यापक प्रभाव था। कपूर ने कहा कि अब हमारी बारी है, एशिया का उदय हो रहा है और भारत एवं चीन दो ऐसे देश हैं, जो अपनी सॉफ्ट पावर के बल पर दुनिया में प्रमुख प्रभावक बन सकते हैं। चीन इसे हासिल करने के लिए पहले से ही हरसंभव प्रयास कर रहा है।
प्रौद्योगिकी उन्नयन की आवश्यकता पर विशेष जोर देते हुए शेखर कपूर ने कहा कि यदि भारत को सिनेमा का उपयोग एक सॉफ्ट पावर के रूप में करना है, तो हमें दुनिया भर में आने वाली पीढ़ियों के दिलो-दिमाग को जीतना होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और दुनिया में 90 फीसदी युवा फिल्मों एवं ओटीटी के अलावा विभिन्न गेम का आनंद उठाते हैं। हमें नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके गेमिंग जैसे लोकप्रिय मीडिया के माध्यम से अपनी कहानियों को बयां करने के बारे में सोचने की जरूरत है। मैं भारतीय परिधानों में भारतीय पात्रों को दर्शाने वाले गेम देखना चाहता हूं।
इस मौके पर आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि आज दुनिया भर में भारतीय संस्कृति के लिए व्यापक सद्भावना और आकर्षण है, लेकिन हमें भारत के बारे में गहरी समझ विकसित करने की जरूरत है और सिनेमा इसके लिए एक प्रभावकारी माध्यम हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी हालिया फिल्में मुख्यत: महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित हैं। कई बार फिल्म से होने वाले बिजनेस को ध्यान में रखते हुए कहानी के नकारात्मक पक्ष को दिखाया जाता है, लेकिन हमें पूरी तस्वीर पेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों का व्यापक संघर्ष, अनिवासी भारतीयों के विदेश में ही रहने या स्वदेश लौट जाने की दुविधा जैसे विषयों को अब भी मुख्यधारा के सिनेमा के जरिए दर्शाने की जरूरत है।