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MLC मानोनय को लेकर दलों में नराजगी, कहा – जल्द होगा बड़ा फैसला

पटना : राज्यपाल कोटे से एमएलसी मानोनय के बाद जदयू के नातायों के बीच नाराजगी का माहौल है। जदयू के नेता द्वारा यह कहा गया कि पुराने विधान परिषद को एक बार फिर से विधान परिषद में जाने के फैसले को लेकर पार्टी के ऐसे नेताओं को गहरा झटका लगा है जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। वहीं इस फैसले को लेकर पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन काफी नाराज हैं।

राजनीति में निष्ठा और योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं

राजीव रंजन ने कहा है कि एमएलसी मनोनयन मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। राज्य कैबिनेट ने उनको इसके लिए अधिकृत किया था लेकिन उनके इस फैसले से लगता है कि राजनीति में निष्ठा और योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं है। यह सब बातें अब केवल किताबों में ही अच्छी लगती है।

उन्होंने कहा कि बिहार में कायस्थ समाज हाशिए पर जा चुका है। राज्य को एक दौर में कई महत्वपूर्ण विभूति देने वाले इस समाज को आज राजनीतिक तौर पर हाशिए के अंदर ढकेल दिया गया है।

वहीं एनडीए गठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि एमएलसी मनोनयन में का फैसला सहयोगियों से बातचीत किए बगैर लिया गया है। इस फैसले से हम के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है।

हम प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नजर इस पूरे घटनाक्रम पर बनी हुई है और जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा।

जानकारी हो कि हम के मुखिया जीतन राम मांझी ने पहले कहा था कि राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने उनसे वादा किया है कि मंत्री पद के साथ एमएलसी का भी एक सीट उनको दिया जाएगा क्योंकि आपने अभी तक कोई मांग नहीं रखा।

बहरहाल , देखना यह है कि इस फैसले को लेकर जदयू हम को किस प्रकार मनाती है और साथ ही पार्टी के अंदर के जो नेता नाराज हैं उनको भी क्या कह कर समझाती बुझाती है। क्योंकि राज्यपाल कोटे से मनोनयन होन वाले एमएलसी में भाजपा और जेडीयू ने 12 में से आधी-आधी सीटें अपने अपने पाले में ले ली है।