पटना: भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने आज कहा कि 26 नवंबर को ऐक्टू सहित सभी ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर आयोजित देशव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक होने वाली है. इसमें हमारी पार्टी सक्रिय तौर पर उतरेगी। साथ ही बिहार की आम जनता से भी इस हड़ताल को समर्थन देने की अपील करते हुए कहा कि बेरोजगारी और रिकाॅर्डतोड़ महंगाई ने आज मजदूर वर्ग से लेकर मध्यवर्ग सबकी कमर तोड़ दी है। देश के संसाधनों को बेचा जा रहा है, जिसके कारण रोजगार के अवसर लगातार घटते जा रहे हैं। आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी सहित सभी स्कीम वर्करों की मांग को सरकार अनसुना कर रही है। हम एक बार फिर से मांग करते हैं कि केंद्र सरकार गुलामी के 4 श्रम काड कानूनों को वापस ले, कंपनी राज देश में नहीं चलेगा और समान काम के लिए समान वेतन लागू करने की गारंटी करे। उन्होंने काम के घंटे 12 से घटाकर पुनः 8 करने की भी मांग की।
अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि कल की देशव्यापी हड़ताल में मनरेगा, खेत व ग्रामीण मजदूर, निर्माण मजदूर और असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों की भी बड़ी भागीदारी होने वाली है। मनरेगा मजदूरों को न तो काम मिल रहा है और न ही न्यूनतम मजदूरी। कोरोना जनित लाॅकडाउन ने खेत व ग्रामीण मजदूरों, प्रवासी मजदूरों की कमर तोड़ दी है, उनका गुस्सा बिहार विधानसभा में खुलकर दिखा था, लेकिन दिल्ली-पटना की सरकार उनके साथ केवल छल ही करते रही। कल की हड़ताल में प्रवासी मजदूरों की भी बड़ी संख्या शामिल होगी।
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार-झारखंड प्रभारी राजाराम सिंह ने कहा कि किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर पूरे देश से किसानों का दिल्ली पहुंचना आरंभ हो गया है। बिहार से भी हजारों-हजार की संख्या में किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं. पंजाब से आने वाले किसानों को सरकार तरह-तरह से परेशान कर रही है और उन्हें दिल्ली आने से रोका जा रहा है। बावजूद, लाखों किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं. बिहार में 26-27 को जिला और अनुमंडल मुख्यालयों पर भी किसानों का धरना होगा। हमारी मांग है कि बिहार सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी किसानों के धान खरीद की गारंटी करे। यह भी कहा कि इन प्रश्नों को विधानसभा के भीतर भी जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।