कृषि कानून वापसी पर आई पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया, बोलें – संविधान की जीत
पटना : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व के मौके पर देशवासियों और किसानों के लिए बड़ा एलान किया है। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार आगामी संसद सत्र में तीन कृषि कानून को वापस लेगी। वहीं, पीएम मोदी के इस एलान के बाद विभिन्न विभागों के लोगों द्वारा प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है।
यह तीनों कानून संसद से पास हुआ था
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का निर्णय था और यह तीनों कानून संसद से पास हुआ था। ये निर्णय उन्हीं का है इसलिए इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हो सकती है। उन्होंने सबकुछ स्पष्ट कर दिया है।
किसानों की जीत, देश की जीत
वहीं, बिहार के नेत विपक्ष ने कहा कि ” यह किसानों की जीत है, देश की जीत है। यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश – भाजपा सरकार और उनके अहंकार की हार है। विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूंजी परस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया। आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबकी सामूहिक जीत है।
एकता में शक्ति
तेजस्वी यादव ने कहा कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बेरोजगारी,महंगाई,निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी। उपचुनाव हारे तो उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया। UP,उत्तराखंड,पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि क़ानून वापस लेने पड़ रहे है। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे। इसी दिन किसान विरोधी नीतीश-भाजपा ने इन कृषि कानूनों का विरोध एवं किसानों का समर्थन करने पर मुझ सहित हमारे अनेक नेताओं/कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया। आखिकार अब जाकर किसानों की जीत हुई।
किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई
वहीं, इसके बाद बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी राजद के सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव ने कहा कि विश्व के सबसे लंबे,शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई। पूँजीपरस्त सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी,खालिस्तानी,आढ़तिए,मुट्ठीभर लोग,देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।
देश पहलवानी से नहीं चलता
इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव ने कहा कि देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से! बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।