पटना : देश की राजधानी दिल्ली में कृषि कानून को लेकर हो रहे आन्दोलन के आंदोलनकारियों ने आज 72वें गणतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर पर फहर रहे तिरंगे को उतारकर अपना झंडा फहरा दिया। हालांकि, कुछ ही देर में पुलिसकर्मियों ने इन झंडों को वहां से हटा दिया। लेकिन, प्रदर्शनकारी बार-बार अपना झंडा फहरा रहे हैं। इस दौरान नीचे खड़े प्रदर्शनकारी हूटिंग करते रहे। इसके बाद कई प्रदर्शनकारी ने गुंबद पर चढ़ गए और वहां भी झंडा लगा दिए।
कृषि कानूनों के खिलाफ आज किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड निकला गया, जिसमें किसानों द्वारा रूट बदले जानें को लेकर जमकर हंगामा हुआ। दिल्ली एनसीआर में लाठीचार्ज और झड़प के बीच प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली के लाल किले में घुस गए। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी के आईटीओ पहुंचने के बाद लुटियन दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के साथ भिड़ंत हो गई। पुलिस बल का प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया और साथ ही आंसू गैस के गोले भी दागे।
किसानों ने तय समय से पहले विभिन्न सीमा बिंदुओं से अपनी ट्रैक्टर परेड शुरू की। अनुमति नहीं मिलने के बावजूद मध्य दिल्ली के आईटीओ पहुंच गए। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह तोड़फोड़ की। ट्रैक्टरों को जानलेवा तरीके से सड़कों पर दौड़ाया। आईटीओ चौराहे पर जमकर उत्पात किया गया। जहां एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक किसान की मौत होने के जानकारी मिल रही है।
वहीं कवि कुमार विश्वाश ने अपने एक फेसबुक पोस्ट के द्वारा लोकतंत्र की गरिमा चोटिल होने के साथ हिंसा को लोकतंत्र की जड़ों का दीमक बताते हुए दुःख जाहिर किया है। कुमार ने लिखा कि बेहद दुःखद! संविधान की मान्यता के पर्व पर देश की राजधानी के दृश्य लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुँचाने वाले हैं! याद रखिए देश का सम्मान है तो आप हैं।हिंसा लोकतंत्र की जड़ों में दीमक के समान है! जो लोग मर्यादा के बाहर जा रहे हैं वे अपने आंदोलन व अपनी माँग की वैधता व संघर्ष को ख़त्म कर रहे हैं। इस तरह से तो आप अपनी बात रखने की शुचिता व स्वीकार्यता समाप्त कर लेंगे!
आंदोलनों की सफलता इन चार बातों पर निर्भर होती हैं। आंदोलन का उद्देश्य आख़री आदमी तक सही-सही समझा पाना, आंदोलन के कुछ सर्वसम्मति से बने मानक चेहरे होने, आंदोलन की गति सता विरोध से किसी भी हाल में देश-विरोधी न होने देना, राष्ट्रीय सम्पत्ति, राष्ट्रीय मनोबल पर चोट न करना।