बदल सकता है बिहार में NDA नेतृत्व का स्वरूप!

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पटना : संभव है कि यूपी में भाजपा की वापसी होने के साथ-साथ बिहार में भी भाजपा का सीएम हो सकता है! चर्चाओं की बात करें तो यूपी चुनाव का परिणाम आने के बाद बिहार में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो सकती है। भाजपा छोड़कर सभी दलों में भगदड़ मच सकती है! अगर तोड़-फोड़ सफल हुई तो बिहार में सरकार भाजपा के किसी नेता के नेतृत्व में चलेगी।

आंतरिक कलह का फायदा उठाना चाह रही BJP

दरसअल, बिहार एनडीए में बीते कई दिनों से सियासी उठापटक जारी है। इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड के अंदर वर्चस्व की लड़ाई तेज है, यह किसी और के बीच नहीं, बल्कि पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की लड़ाई है। एक हैं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, तो दूसरे हैं नीतीश कुमार के भरोसेमंद और नौकरशाह से नेता बने आरसीपी सिंह। आरसीपी सिंह फिलहाल मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्रालय संभाल रहे हैं, जबकि मंत्री बनने की आकांक्षा पाले ललन सिंह न चाहते हुए भी पार्टी की बागडोर संभाले हुए हैं। वैसे, दोनो नेताओं के बीच रिश्ते में कड़वाहट तब से देखने को मिल रही है, जब आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था। तभी से वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच राजनीतिक दांव-पेंच जारी है।

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बदल सकता है NDA नेतृत्व का स्वरूप

इसी लड़ाई का फायदा उठाते हुए भाजपा अपना सीएम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। चर्चाओं की मानें तो बिहार में एनडीए सरकार का स्वरूप बदल सकता है। दोनों दलों के नेतृत्वकर्ता बदल सकते हैं। जिस रणनीति पर भाजपा काम कर रही है, अगर वह रणनीति सफल होती है तो, सीएम भाजपा का और डिप्टी सीएम जदयू का।

केंद्रीय राज्य मंत्री रेस में आगे

एनडीए घटक दल के सबसे बड़े दल की ओर से जिस नाम की चर्चा चल रही है, वे अभी केंद्रीय राज्य मंत्री हैं और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के करीबी हैं। इसके अलावा दो और चेहरे रेस में हैं। इनमें से एक कुशवाहा जाति से हैं और हाल के दिनों उनके फैसले की वजह से भाजपा कार्यकर्ताओं को यह एहसास हुआ है कि वे भी सरकार में दमखम रखते हैं। कार्यशैली को लेकर कहा जाता है कि ये नितिन गडकरी की तरह स्वतंत्र रूप से विभाग को चलाते हैं। वहीं, दूसरा चेहरा काफी लोकप्रिय है।

पुराने चेहरे होंगे नए नेतृत्वकर्ता

वहीं, जदयू की तरफ से भाजपा में जिस नाम की चर्चा है, वे बिहार के मुख्यमंत्री के काफी करीबी में से एक हैं। 1995 से चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं। कई सालों से एक ही विभाग संभाल रहे हैं। इनके नाम पर जदयू की तरफ से ज्यादा आपत्ति नहीं होगी। जबकि इसी दल के एक शीर्ष नेता को लेकर भाजपा ने फील्डिंग टाइट कर दी है। जिस तरह से उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा के पुराने और दक्षिण बिहार के बड़े भूमिहार चेहरे को घर मे घेरने की तैयारी की थी, इससे नाराज होकर भाजपा और विचार परिवार ने इन्हें सबक सिखाने को ठाने हुई है।

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