हफ्ते भर में ठंडा हो गए मंत्री जी,कहा – कोई असंतोष नहीं
पटना : अधिकारियों का तबादला रद्द करने के आदेश में गुस्साए भाजपा नेता और बिहार सरकार के मंत्री रामसूरत राय अब काफी नरम नजर आ रहे हैं। जबकि, सप्ताह भर पहले इन्होंने ही यह कह कर राजनीतिक विवाद को बढ़ा दिया था कि जहां पमंत्रियो का कोई अस्तित्व ही नहीं हो वहां मंत्री आने से क्या फायदा। इसके अलावा इन्होंने एलान किया था कि अब ये न तो कोई जनता दरबार लगायेंगे और न ही कोई समस्या सुनाएंगे। रामसूरत राय ने इस दौरान स्पष्ट तौर पर कहा था कि उनको मंत्री पद का कोई लोभ नहीं है। लेकिन, अब मात्र एक सप्ताह में ही इन्होंने अपनी पुरानी बातों से पलटी मार दिया है।
ना तो सरकार से नाराज है ना ही अपनी पार्टी से
दरअसल, गुरुवार को भाजपा दफ्तर पहुंचे रामसूरत राय ने कहा कि वह ना तो सरकार से नाराज है ना ही अपनी पार्टी से, बल्कि वो अब पुरानी बातों को भुलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इन्होंने कहा कि सबकुछ एकदम मस्त है, किन्हीं को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कोई विवाद ही नहीं है। हम लोग एक जगह पर हैं,कहीं कोई विवाद या असंतोष नहीं है। मैं न तो सरकार से नाराज हूं न ही अपनी पार्टी से।
गौरतलब हो कि, इससे पहले राजस्व भूमि सुधार विभाग ने 30 जून को 149 अंचलाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया था। लेकिन, कुछ दिन बाद इस तबादले की गड़बड़ी की शिकायत के बाद सीएम नीतीश के आदेश पर 8 जुलाई को स्थानांतरण आदेश रद्द किए जाने की चिट्ठी जारी कर दी गई। इसके बाद विभागीय मंत्री रामसूरत राय बिफर गए और उन्होंने कहा था कि उनके मंत्री रहने का क्या फायदा ? मंत्री ने यह तक कहा था कि विधायकों की सिफारिश पर स्थानांतरण किया गया। यदि विधायकों की सिफारिश मानना गलत था, तभी ये तबादला गलत था और यदि उनका सिफारिश मानना सही था तो फिर यह तबादले का आदेश गलत कैसे हो सकता है।