जदयू में वर्चस्व का खेल जारी, कम्फर्ट जोन से बाहर जाकर अभय को वफादारी का ईनाम देंगे RCP

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पटना : जदयू में आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच मची अंदरूनी कलह धीरे धीरे सामने आने लगा है। जहां कल ललन सिंह द्वारा आरसीपी के करीबी नेताओं को पार्टी प्रदेश मुख्यालय से से छुट्टी कर दिया गया तो वहीं अब जदयू के नेता को आरसीपी के APS बनाने की तैयारी चल रही है।

अपने करीबियों को जल्द से जल्द सेट करने में लग गए आरसीपी

दरअसल, आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि अब संगठन से उनके करीबी को किनारा किया जाएगा। जिसके बाद इस बात की भनक लगते ही आरसीपी सिंह अपने करीबियों को जल्द से जल्द सेट करने में लग गए हैं। इसी कड़ी में मिल रही सूचना के मुताबिक जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ,विधायक रहने वाले अभय कुशवाहा को नयी जिम्मेवारी मिलने वाला है। अब वे केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के APS बनाये गये हैं।

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अभय कुशवाहा बनें आरसीपी के APS

सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि अभय कुशवाहा को आरसीपी सिंह का APS बनाया गया है। जानकारी हो ऐसा बहुत कम बार देखा गया है कि कोई पूर्व विधायक किसी मंत्री का APS यानि एडिशनल प्राइवेट सेकेट्री बन जाये। लेकिन जेडीयू में जो खेल हो रहा है उसमें कुछ भी संभव हो सकता है । हालांकि इसको लेकर अभय कुशवाहा कुछ बता तो नहीं रहे हैं,लेकिन वह इस बात का खंडन भी नहीं कर रहे हैं। वहीं सूचना यह भी है कि जेडीयू के एक औऱ नेता को भी आरसीपी सिंह के निजी स्टाफ में जगह दी गयी है।

निजी स्टाफ के तौर पर सेट करना शुरू

दरअसल जेडीयू के भीतर के हालियों दिनों में पार्टी के जिन नेताओं ने आरसीपी सिंह के लिए कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाया उन पर गाज गिरनी शुरू हो गयी है। ऐसे में शायद यही कारण रहा कि आरसीपी सिंह ने अपने लोगों को अपने मंत्रालय में अपने निजी स्टाफ के तौर पर सेट करना शुरू कर दिया है। ताकि इन लोगों को कहीं तो जगह मिली रहें।

केंद्रीय मंत्री को ये अधिकार

जानकारी हो कि केंद्रीय मंत्री को ये अधिकार होता है कि वे किसी निजी व्यक्ति को अपना एडिशनल प्राइवेट सेकेट्री बना सकते हैं। हालांकि उस APS का कार्यकाल तभी तक होता है जब तक मंत्री कुर्सी पर रहते हैं। मंत्री के कुर्सी से हटते ही APS भी हट जाते हैं

क्या है मुख्य वजह

देखने जानने वाली बात यह है कि पूर्व विधायक अभय कुशवाहा दिल्ली में एपीएस क्यों बनाए गए ? इसके पीछे कुछ लोगों का कहना है कि जब आरसीपी सिंह के मंत्री बनकर पटना आने वाले थे तो इन्होंने ने ही पटना में समर्थक जुटाने का काम किया है। इसके साथ ही इन्होंने सबसे ज्यादा होर्डिंग बैनर लगाये औऱ उनमें ललन सिंह औऱ उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर गायब कर दी। बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तो तस्वीर होर्डिंग-बैनर में लगायी पर उपेंद्र कुशवाहा को नेता मानने से भी इंकार कर दिया। इसके साथ ही अभय कुशवाहा ने आरसीपी सिंह के गया दौरे में पूरे शहर को होर्डिंग-बैनर से पाट दिया था। लोगों के मुताबिक पैसे को पानी की तरह बहाया गया था।

ललन को चुनौती

बहरहाल, देखना यह है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह किस समीकरण के तहत जदयू को बड़ी पार्टी बनाते हैं क्योंकि इससे पहले भी ललन सिंह कह चुके हैं कि वह जदयू को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर देख रहे हैं। ऐसे में वह क्या कुछ नयापन पार्टी और संगठन में लाते हैं।

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