तुर्की में सदी का सबसे बड़ा विनाश, भारत ने NDRF की दो टीमें भेजी

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नयी दिल्ली : तुर्की और सीरिया में कल सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 4,900 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। 7.8 तीव्रता के झटकों ने साढ़े पांच हजार से अधिक इमारतों को जमींदोज कर दिया। भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया में 77 और झटके आए जिनमें से एक 7.5 तीव्रता का था। भारत समेत दर्जनों देशों ने तुर्की को हरसंभव मदद का ऐलान किया है। भारत से एनडीअरएफ की दो टीमें जरूरी दवाओं और साजोसामान के साथ भेजी गईं हैं।

अब तक 4900 से अधिक की मौत

तुर्की और सीरिया में लोगों से भरे कई बहुमंजिला अपार्टमेंट मलबे में तब्दील हो गए हैं। जब भूकंप आया उस समय लोग नींद में ही थे। अचानक इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर गईं। तुर्किये में मंगलवार सुबह 8.53 पर फिर भूकंप आया। तुर्की की सरकार ने वहां 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। वहां 10 शहरों में इमरजेंसी और रेड अलर्ट जारी किया गया है। सभी स्कूल-कॉलेज एक हफ्ते तक बंद रहेंगे। 200 फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। 16 हजार लोग बचाव कार्य में लगे हुए हैं।

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6500 इमारते पूरी तरह जमींदोज

इसबीच इंडियन एयरफोर्स का C-17 विमान 2 NDRF टीमों, डॉक्टरों और राहत सामग्री के साथ आज मंगलवार को वहां पहुंचा। भीषण भूकंप के बाद बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है। हालांकि इस बचाव कार्य में तेज़ बारिश और बर्फबारी चुनौती बनकर सामने आ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई है कि मरने वालों का आंकड़ा काफ़ी ज़्यादा हो सकता है। सीरिया के कुछ शहरों में भयंकर तबाही छाई हुई है। लोग दर्द से कराह रहे हैं और मदद के लिए चिल्ला रहे हैं। लेकिन कोई नहीं है जो मदद के लिए आगे आए। ये ऐसा इलाक़ा है जहां एक दशक से ज़्यादा वक़्त तक चले युद्ध के कारण पहले ही काफ़ी तबाही का माहौल था। ऐसे में जब भूकंप आया तो ये और डरा देने वाला मंज़र और दर्द लोगों को दे गया।

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