तेजस्वी के ‘भू’ प्रेम से BJP और JDU में डर का माहौल, कहीं खिसक न जाए कैडर वोटर
पटना : बिहार विधानसभा के नेता विपक्ष इन दिनों सवर्णों को लुभाने में लगे हुए हैं। यह सवर्णों द्वारा आयोजित हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में समय निकालकर पहुंच रहे हैं और उनकी तारीफों के पुल भी बांध रहे हैं। वहीं, तेजस्वी का यह नया फॉर्मूला कि राजद अब ए टू जेड की पार्टी होगी विरोधियों पर काफी भारी पड़ रहा है।
दरअसल, राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा बीते दिनों भूमि यादव का गढ़ माने जाने वाला मोकामा जाकर यग का उद्घाटन करना और उसके बाद भगवान परशुराम जयंती पर पटना में भूमिहार ब्रहमान एकता मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना एक नया संदेश प्रसारित कर रहा है। गौरतलब हो कि, कुछ दिन पहले तक तेजस्वी जिस जाति से आते थे और वर्तमान में जिस जाति के कार्यक्रम में में शामिल हो रहे हैं दोनों एक दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाते थे। लेकिन, विधानसभा उपचुनाव में भाजपा द्वारा चला गया 1 गलत चाल तेजस्वी के लिए एक नया मौका दे गया।
अपने जाति के उम्मीदवारों का टिकट काटा
बिहार एमएलसी चुनाव में जिस तरह तेजस्वी ने अपने जाति के उम्मीदवारों का टिकट काटकर भूूमिहार समाज से आने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया वह उनके लिए तुरूप का इक्का साबित हुआ और इसका फायदा उनको विधानसभा उपचुनाव में भी मिला यहां भी एनडीए का कैडर वोटर माना जाने वाला वर्ग एक साथ राजद का समर्थन किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां से एनडीए को भारी अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा।
भू समाज साथ दे तो बिहार का भविष्य उज्जवल
इसके बाद एक बार फिर परशुराम जयंती पर तेजस्वी द्वारा भूमिहार के कार्यक्रम में शिरकत कर यह बोलना कि अगर आप हाथ बढ़ाईएगा तो अब आपको भी हम लोगों का साथ मिलेगा। इसके साथ ही यह कहना कि भूमिहार समाज पढ़ा-लिखा है, बुद्धिजीवी है और जागरूक है और हमेशा समाज का अगुआ रहा है यह समाज मेरा साथ दे तो बिहार का भविष्य उज्जवल होगा। इसके साथ ही उनके द्वारा यह कह कर इस समाज का दिल जितना कि मेरे द्वारा जो गलती की गई उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं और आगे यही कहता हूं कि जब मिलेगा भूमिहार का चूरा और यादव जी का दही तभी होगा बिहार में सबकुछ सही।
एनडीए में काफी हलचल
दूसरी तरफ, तेजस्वी का यह प्लान एनडीए में काफी हलचल मचा दिया है। यादव द्वारा सामाजिक न्याय को लेकर जो नई परिभाषा गढ़ी गई है इससे विरोधियों में काफी बेचैनी देखने को मिल रही है। क्योंकि जिस तरह से आजकल तेजस्वी यादव को मंच पर जगह दिया जा रहा है उससे यह साफ देखने को मिल रहा है कि एनडीए का क्या डर वोट अब धीरे-धीरे दूसरी तरफ मुड़ रहा है। हालांकि, इसके बचाव के लिए भाजपा और जदयू द्वारा जरूर अपने नेताओं को का में भेजा जा रहा है लेकिन कार्यक्रम में भेजा जा रहा है लेकिन एनडीए का यह प्लान फिलहाल तो सफल होता नजर नहीं आ रहा।
बहरहाल, देखना यह है कि जिस तरह तेजस्वी धीरे – धीरे एनडीए के कैडर वोटर को अपने तरफ मोड़ रहे हैं उसे रोकने के लिए कोन सा नया प्लान तैयार होता है और इसका अगुआ इसको बनाया जाता है क्योंकि अभी बात करें उस चेहरे की जिसकी बात यह समाज एक जुट होकर मान ले तो बमुश्किल एक या दो लोग ही हो सकते हैं।