पटना : तेजप्रताप की हालिया बयानबाजी और पार्टी से अलग बिंदास रुख से तेजस्वी और राबड़ी देवी खासे नाराज हो उठे हैं। दोनों ने पाटलीपुत्र सीट को लेकर तेजप्रताप की बयानबाजी पर उन्हें जमकर डांट पिलाई है। पहले ऐश्वर्या से तलाक, फिर वृंदावन प्रवास और फिर अचानक पटना में जनता दरबार के माध्यम से राजनीतिक सक्रियता के क्रम में पार्टी की लगातार किरकिरी करा रहे तेजप्रताप पर उनकी मां और भाई ने काफी तल्ख टिप्पणी की है। जहां राबड़ी ने उन्हें चुनाव को देखते हुए संभल जाने की नसीहत दी वहीं तेजस्वी ने साफ—साफ उनसे सवाल पूछ लिया कि क्या पार्टी के संसदीय दल और लालूजी का कोई महत्व नहीं है?
तेजस्वी का तल्ख अंदाज
तेजप्रताप यादव के बयान पर तेजस्वी से जब प्रतिक्रिया पूछी गई तो उनका कहना था कि क्या कैमरे पर ही बात होगी? अगर ऐसा है तो आइए फिर कैमरे पर ही सीटें बांट लेते हैं? तेजस्वी के इस बयान से साफ है कि वे अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव से खासे नाराज हैं। तेजस्वी ने सार्वजनिक रूप से बिना उनका नाम लिए उन्हें नसीहत दे दी कि आखिरी फैसला या तो पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा या हर बार की तरह हर उम्मीदवार और सीट का चयन पार्टी सुप्रीमो लालू यादव करेंगे।
तेजप्रताप की विरासत में दावेदारी
लेकिन यहां देखने वाली बात यह है कि क्या तेजप्रताप अपने भाई की नसीहत मानेंगे? क्योंकि असल लड़ाई तो विरासत की है। तेजप्रताप के हालिया रुख से यह संकेत मिलता है कि वह राजनीति में भी बड़े भाई जैसा सम्मानजनक वास्तविक रोल ढूंढ रहे हैं। उन्हें अब पिछलग्गू वाला किरदार कतई मंजूर नहीं। अपने हालिया एक्शन में भी उन्होंने लालू यादव वाला रंग—ढंग ही अपना रखा है। विश्लेषकों का मानना है कि पाटलिपुत्र पर मीसा भारती का नाम बढ़ाकर उन्होंने विरासत की रेस में अपने लिए एक तरह से मीसा का समर्थन जुटाने की कोशिश की है। उधर राबड़ी भी तेजप्रताप को लेकर भावुक हो जाती हैं। लेकिन उन्हें अपने कुनबे को समेट कर रखने की जिम्मेदारी का भी अहसास है। यही कारण है कि उन्होंने चुनाव को देखते हुए तेजप्रताप को बयानबाजी से बचने की सलाह दी है।
चुनाव को लेकर एका राग
उधर तेजस्वी ने पार्टी की हो रही किरकिरी को बहाना बनाते हुए अपना दांव मारा कि अभी सीटों के बारे में सहयोगी दलों के बीच महागठबंधन में सामंजस्य नहीं बना है, तो ये सवाल कहां से आता है कि कौन व्यक्ति कहां से लड़ेगा? तेजस्वी ने तंज किया कि क्या मतलब है कि आपस में ही लोग बातें कर लें, बांट लें और खेल लें। तेजस्वी ने साफ किया कि पहले महागठबंधन में सीटों की संख्या के ऊपर फैसला होगा और उसके बाद उम्मीदवारों के चयन पर। सब दल अपने-अपने हिसाब से फैसला लेंगे। लेकिन इस सारी कवायद में राजद तेजप्रताप की सेवाएं किस रूप में लेता है, यह देखने वाली बात होगी।