पटना : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बिहार की शिक्षा की बात कर अपने शैक्षणिक ज्ञान का खुलासा न करें। वर्तमान में बिहार के स्कूल चरवाही के लिए नहीं बल्कि पढ़ाई के लिए हैं।
पटेल ने कहा कि 2005 के पहले बिहार में शिक्षा की स्थिति क्या थी? नेता प्रतिपक्ष को जानकारी नहीं, तो किसी से पूछ लें। स्कूलों के लिए न भवन थे, न शिक्षक और न ही बच्चे। सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला दिला कर कोई अभिभावक उनका भविष्य खराब करना नहीं चाहता था। स्कूलों में जुआरियों का अड्डा होता था। लेकिन , अभी स्थिति कितनी सुधर गई है। हर गांव में दूर से ही विद्यालयों के भव्य भवन दिख जाते हैं। सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है, इसलिए दाखिले में लगातार वृद्धि हो रही है। अब स्कूलों के पास भवन भी हैं, पढ़ने के लिए बच्चे भी और बच्चों पढ़ाने के लिए शिक्षक भी हैं। परीक्षा केंद्रों पर अब खिड़कियों से चीट- पुर्जे नहीं पहुंचाए जाते। पढ़ाई भी सुधरी और परीक्षा में कड़ाई भी बढ़ी।
इसके आगे पटेल ने कहा कि पति-पत्नी के राज में तो परीक्षाएं मात्र औपचारिकता रह गई थीं। प्रश्नपत्र बाजार में बिकते थे। नौकरी देने के लिए सरकारी दलाल बाजार में घूमते थे। इनके कई सरकार के रिश्तेदार भी थे। पैसा फेंको नौकरी पाओ। अब नौकरी पाने के जो पात्र होते हैं, उन्हीं को नौकरी मिलती है। यही ‘सुशासन’ और ‘जंगलराज’ में अंतर है। सुशासन की सरकार में जंगलराज की भाषा नेता प्रतिपक्ष न बोलें। इससे एनडीए की सुशासन सरकार का तो कुछ नहीं नुकसान होगा, उल्टा नेता प्रतिपक्ष पर ही लोग उनकी अज्ञानता और नासमझी पर हंसें