पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी माघ पूर्णिमा के शुभ मुहुर्त में अपने नए सरकारी बंगले में प्रवेश करते ही अचंभित हो गए। इस बंगले की कहानी काफी दिलचस्प है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसी बंगले को लेकर उच्चतम न्यायालय तक गए। लेकिन, उन्हें निराशा हाथ लगी। शिखर न्यायालय ने न सिर्फ तेजस्वी को बंगला खाली करने का आदेश दिया, बल्कि उनपर 50 हजार रुपए का दंड भी लगाया।
बहरहाल, सोमवार को सुशील कुमार मोदी 5, देशरत्न मार्ग स्थित बंगले में उप मुख्यमंत्री की हैसियत से पहली बार प्रवेश किए। पहले उन्होंने घूमकर हर कमरे, हॉल आदि का अवलोकन किया। इस दौरान वे बंगले की भव्य साज—सज्जा देखकर विस्मित रह गए। बंगला घूमने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अपने 27 वर्षों के राजनीतिक जीवन में उन्होंने इतना भव्य सरकारी आवास नहीं देखा। राजनीति के लिए निर्धारित मूल्यों एवं मर्यादाओं के तीव्र पतन का घटिया नमूना इससे अलग और कुछ नहीं हो सकता। तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि गरीबों का नेता होने का ढोंग करने वाले एक बंगले के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए। अब पता चला कि वे बंगला के लिए इतने बेचैन क्यों थे। दरअसन, जनता के करोड़ों रुपयों से बंगले में जो सजावट करायी थी, उसी का उन्हें मोह था। एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि इतने बड़े बंगले की रखरखाव करना भी हाथी पालने जैसा है। वे इस बंगले में नहीं रहेंगे। पहले की भांति अपने निजी मकान में ही रहेंगे।
बंगले में इटालियन टाइल्स, तीन दर्जन से अधिक एसी, विदेशी शॉवर के बारे में पूछे जाने पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा—महाराजा या जमींदार के बंगले की तरह सजावट में कितना खर्च हुआ, इसका एस्टिमेट करवाएंगे। साथ ही इस बंगले की अनावश्यक वस्तुओं को भवन निर्माण विभाग को सौंप देंगे, ताकि उसका कहीं और उपयोग हो सके।
सुमो ने यह भी कह दिया कि बंगले कि भव्यता को देखते हुए वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करेंगे कि वे इसमें आकर रहें, क्योंकि यह तो वर्तमान मुख्यमंत्री आवास 1, अणे मार्ग से सौ गुना भव्य है।