Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट बिहारी समाज राजपाट

अग्निपथ को लेकर तेजस्वी के 20 सवाल,कहा- जब नहीं पसंद कामकाज तो क्यों रह रहे साथ

पटना : केंद्र सरकार की तरफ से लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर पूरे देश में विरोध हो रहा है। इस योजना का सबसे अधिक कहीं विरोध हो रहा है तो वह है बिहार। वहीं,इस योजना को लेकर बिहार की मुख्य विरोधी दल राजद ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाया है।

राजद ने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं के मन में संशय की स्थिति है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर जवाब देना चाहिए। वहीं, उन्होंने बिहार एनडीए में मचे घमासान पर कहा कि अगर भाजपा को नीतीश सरकार का कामकाज पसंद नहीं है तो वह सरकार में क्यों बने हुए हैं, इसका जवाब देना चाहिए।

दरअसल, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रविवार को दिल्ली में एक प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए 20 सवालों का जबाव मांगा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से देश के युवा दुखी हैं और उनमें सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं के मन में संशय की स्थिति है।

केंद्र सरकार जो भी कानून लेकर आती है वह फेल हो जाती है

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जो भी कानून लेकर आती है वह फेल हो जाती है। सरकार संसद में बिल पेश करती है और आंदोलन के बाद वापस ले लेती है। इससे पहले भी एनटीपीसी को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से छात्र अपनी मांगों को रख रहे थे लेकिन उनकी मांग सुनने वाला कोई नहीं था, लेकिन जब उग्र आंदोलन हुआ तो सरकारी की नींद खुली।

उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि चार साल के ठेके पर बहाल होने वाले अग्निवीरों को क्या नियमित सैनिकों की तरह 90 दिनों की छुट्टियां मिलेंगी। अग्निपथ योजना अगर न्याय संगत है तो इसके माध्यम से सीनियर अफसरों की भर्ती क्यों नहीं हो सकती। तेजस्वी ने पूछा कि यह योजना शिक्षित युवाओं के लिए मनरेगा है या संघ का कोई एजेंडा। इसके साथ ही तेजस्वी ने एक के बाद एक कई सवार केंद्र की मोदी सरकार से पूछे हैं।

तेजस्वी ने कहा कि विपक्ष का काम होता है जनता के सवालों को उठाना,हमने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया है। इसका एक ही समाधान है कि सरकार लोगों की समस्या को दूर करे। इसपर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि सरकार की जिम्मेवारी है कि वह हिंसा रोके लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।