CM की कुर्सी से तेजस्वी मात्र 6 विधायक दूर, JDU में टूट के खतरे से टेंशन में Nitish

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पटना : बिहार में जदयू-भाजपा की तकरार के बीच एक सियासी तूफान दबे पांव नीतीश कुमार की कुर्सी पर नजरें गड़ाये हुए है। इस सियासी तूफान की आहट से सीएम नीतीश और उनकी पार्टी जदयू अंदर ही अंदर भारी टेंशन में है। टेंशन सहयोगी भाजपा को भी होने लगी है, लेकिन फिर भी एनडीए के दोनों दल एक दूसरे पर ही तलवार चलाने में मशगुल हैं। टेंशन की मुख्य वजह राजद है जो तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार की सत्ता से महज 6 विधायक दूर ही रह गया है। अगर एनडीए या फिर जदयू के महज 6 विधायक टूट कर राजद को सपोर्ट कर दें तो तेजस्वी यादव को विधानसभा में बहुमत मिल जाएगा और वे मुख्यमंत्री बन जायेंगे।

बिहार में बहुमत का नया सियासी खेल

यह नया सियासी खेल ओवैसी की पार्टी के 5 में से 4 विधायकों के राजद में शामिल होने के साथ ही शुरू हुआ है। इसके साथ ही राजद बिहार में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गया। इतना ही नहीं विधानसभा में राजद के महागठबंधन के पास अब कुल 116 विधायक हो गए हैं। बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है। मतलब साफ है कि राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन अब आंकड़ों के लिहाज से बिहार की सत्ता के लिए बहुमत से महज 6 विधायक ही कम रह गया है।

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जदयू में टूट की आशंका से एनडीए परेशान

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार जदयू और अन्य दलों में कई ऐसे विधायक हैं ​जिनका इमान लालू यादव की पार्टी के लिए कभी भी डोल सकता है। सबसे पहले बात करते हैं ओवैसी की पार्टी में एकमात्र बचे विधायक अख्तरुल इमान की। अख्तरुल इमान पहले आरजेडी का ही झंडा ढोते थे। टिकट न मिलने पर उन्होंने ओवैसी की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। वे हालिया टूट में राजद में तो नहीं गए, लेकिन उनके बारे में कहा जा रहा है कि अगर तेजस्वी खुद उनसे बात करें और कोई बड़ा आफर दें तो आराम से पुराने घर राजद में आ जायेंगे। इसके अलावा जदयू में पूर्व में शामिल हुए बसपा के विधायक भी अच्छा आफर मिलने पर वहां से पाला बदलकर राजद का दामन थाम सकते हैं।

मांझी की पार्टी का रुख भी एनडीए में डांवाडोल

इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हम जो अभी एनडीए के साथ है, उसके 4 विधायकों को इधर से उधर करना राजद के लिए कठिन नहीं। मांझी खुद भी एनडीए में काफी डांवाडोल रहे हैं और वे अपनी पूरी पार्टी को ही राजद के महागठबंधन के साथ कर लें तो आश्चर्य नहीं।

आरसीपी के अपमान से उनके करीबी नाराज

जहां तक जदयू में विधायकों के ईमान का सवाल है तो यहां आरसीपी गुट के कई विधायक उनके साथ हुई बेरुखी से काफी नाराज हैं। इसका संकेत जदयू में आरसीपी के करीबी होने का खामियाजा भुगतने वाले नेता अजय आलोक ने अपने एक ट्वीट में भी दिया। उन्होंने संकेतों में लिखा कि अब विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी बन गया है। खेल अभी शुरू हुआ है क्योंकि संचालन कहीं और से हो रहा है। आरजेडी और तेजस्वी को बधाई। इसके अलावा जदयू में कुछ ऐसे विधायक भी हैं जो राजद से अंदर ही अंदर सहानुभूति रखते हैं। ऐसे में जदयू के इन असंतुष्ट विधायकों में से 5—6 को अपने पाले में करना लालू—तेजस्वी के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। मतलब तेजस्वी के नेतृत्व में राजद का महागठबंधन आसानी से बहुमत के 122 वाले जादुई आंकड़े को जुटा ले सकता है।

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