तेज ने बढ़ाई राजद की मुश्किलें, तारापुर से उतारा अपना उम्मीदवार

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पटना : बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। राजद को बिहार विधानसभा उपचुनाव में विरोधियों के साथ-साथ अपने घर के अंदर भी चुनौती मिल रही है। राजद द्वारा पार्टी के हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव का नाम स्टार्ट प्रचारक की सूची से बाहर करने के बाद अब उनके द्वारा तारापुर विधानसभा सीट पर एक अलग उम्मीदवार उतारा गया है।

संजय कुमार होंगे उम्मीदवार

तेजप्रताप यादव द्वारा उनके संगठन छात्र जनशक्ति परिषद के तरफ से तारापुर विधानसभा सीट पर संजय कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया गया है। हालंकि संजय कुमार ने अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दर्ज किया है। लेकिन, उनका कहना है कि तेजप्रताप यादव द्वारा समर्थन प्राप्त होने के बाद ही हुआ मैदान में आए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में छात्र जनशक्ति परिषद को चुनाव चिन्ह नहीं मिला है इसलिए उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरा है।

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जहानाबाद लोकसभा सीट पर भी उतारा था अपना उम्मीदवार

बता दें कि, इससे पहले 2019 के आम चुनाव में तेज प्रताप यादव ने जहानाबाद लोकसभा सीट से राजद के उम्मीदवार के खिलाफ अपना व्यक्तिगत उम्मीदवार उतारा था इस वजह से राजद उम्मीदवार को काफी कम मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, अब संजय कुमार को उन्होंने तारापुर उपचुनाव में मैदान में उतारा है।

राजद के नेता रह चुके हैं संजय

जानकारी हो कि संजय कुमार इससे पहले राजद के नेता भी रह चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस पार्टी से भी उन्होंने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा है, जिसमें उन्हें 18000 वोट मिले थे। संजय कुमार का दावा है कि इस उपचुनाव में उन्हें जनता का समर्थन जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने उन्हें भरोसा दिया है कि वह उनके समर्थन में प्रचार करने भी जाएंगे।

राजद की मुश्किलें बढ़ी

वहीं, तेजप्रताप यादव द्वारा छात्र जनशक्ति परिषद के नेता संजय कुमार के मैदान में उतरने से राजद की मुश्किलें रणनीतिक तौर पर भी बढ़ गई हैं। राजद ने तारापुर से रणनीति के तहत वैश्य समुदाय के उम्मीदवार अरुण शाह को मैदान में उतारा था। राजद को लगता है कि यादव और मुसलमान के साथ वैश्य समाज के वोट मिलने पर जीत पक्की हो जाएगी, पर यादव जाति के ही संजय कुमार के मैदान में उतर जाने से राजद के मंसूबों को आघात लग सकता है।

बहरहाल अब यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी और तेज प्रताप, क्या दोनों एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करने उतरते हैं या नहीं?

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