पटना : राजधानी के केन्द्रीय राजस्व भवन में टीडीएस पर आज एक अवेरनेस प्रोग्राम किया गया। इसमे टीडीएस और टैक्स के बारे में सरकारी कर्मचारियों को जानकारी दी गई। आयकर आयुक्त बिहार—झारखण्ड के तत्वाधान में हुए इस कार्यक्रम में पटना के विभिन्न सरकारी विभागों के डीडीओ ने भाग लिया। आयकर आयुक्त राम विलास मिश्रा ने टीडीएस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (बिहार झारखंड ) का टारगेट 14 हज़ार करोड़ का है जिसमें से 9,700 करोड़ सिर्फ टीडीएस से प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि यदि टीडीएस कटौती में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो उसके लिए डीडीओ को पूरी तरह ज़िम्मेदार माना जाएगा। यदि कोई रोड या ब्रिज बनता है और मजदूर को डायरेक्ट पैसा दिया जाता है तो उस पर टीडीएस नहीं लगता है। ज्यादातर मज़दूरों की सप्लाई लेबर कॉन्ट्रैक्टर द्वारा होता है और यदि वहां पैसा दिया जाता है तो टीडीएस एप्लीकेबल होगा। उन्होंने कहा कि पूरे बिहार-झारखंड में रेंट पेमेंट में टीडीएस ठीक ढंग से नहीं कट रहा है। हाउस रेंट एल्लावेंस में डीडीओ ठीक ढंग से कंप्यूट नहीं कर पाता है। आयकर आयुक्त ने कहा कि गलती यदि बड़े-बड़े अफसर या संस्था से होती है तो उनकी गलती नहीं मानी जाएगी, बल्कि डीडीओ को डिफॉल्टर समझा जाएगा। भले ही आप ये सोचें कि आपने टीडीएस नहीं काटकर विभाग की नज़र में बच गए। लेकिन ऐसा सोचना ठीक नहीं है। डीडीओ इस मुगालते में रहते हैं कि विभाग को पता ही नहीं चलेगा। लेकिन उनकी भूल है। सिस्टम में जब भी बात आएगी तो उतने इंटरेस्ट के साथ उन पर पेनाल्टी लगेगी। सारा बकाया उन्हें ही देना पड़ता है। उन्होंने त्रैमासिक टीडीएस विवरणी को सही तरीक़े से एवं सही समय पर दाखिल करने के बारे में बताया। सही समय से निर्धारित प्रपत्र को दाखिल करने से जो भी कटौती होगी वो सब पैन पर प्रदर्शित होगा और आप अनेक कठिनाइयों से भी बच जाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर टीडीएस मिसमैचिंग की समस्या कम होगी और कर दाताओं की शिकायतें भी दूर होंगी।
संयुक्त आयकर आयुक्त सुप्रिय विश्वाश ने स्त्रोत पर जो भी कटौती की जाती है उस राशि को सही समय पर केंद्र सरकार के खाते में जमा करने की बात बताई। उन्होंने कहा कि कटौती राशि को सही समय पर जमा नहीं करने पर आयकर अधिनियम की धारा 276 B के तहत 3 महीने से 7 वर्ष तक सज़ा का प्रावधान है। अतः हमें ऐसी गलतियों से बचना चाहिए।
मानस द्विवेदी