‘तांडव नृत्य’ सीख रहे तेजप्रताप, लालू कुनबे में हड़कंप

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पटना : राजद सुप्रीमो लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव अब ‘तांडव नृत्य’ सीख रहे हैं। अपने तांडव वाले हुनर का प्रयोग वे कहां करेंगे, इसका सहज अदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं। सूचना है कि राजधानी पटना के मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध ‘नृत्य—संगीत’ केंद्र के प्रतिष्ठित और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रशिक्षक की शरण में वे गये हैं। अर्थात उन्होंने उन्हें हायर किया है। प्रशिक्षक ने तेजप्रताप के बंगले पर जाकर उन्हें ‘तांडव नृत्य’ सिखाना शुरू भी कर दिया। साफ है कि चुनावों में राजद की लुटिया डुबने के बाद वे ‘विरासत की जंग’ में अब कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते। यानी, राजद में वे किसी भी कीमत पर बड़ा पुत्र होने के बावजूद ‘नंबर टू’ की हैसियत में नहीं रहना चाहते। यानी, खुद ही शंख फूंकेंगे, जनता दरबार लगाएंगे, और फिर तांडव भी करेंगे। मालूम हो कि तेजप्रताप भक्तिभाव में कभी ‘कृष्ण’ तो कभी ‘शिव’ का रूप धारण करते रहे हैं।

विरासत की जंग में ‘नंबर टू’ मंजूर नहीं

हाल के लोकसभा चुनाव में बिहार में राजद की ऐतिहासिक हार हुई है। ऐसे में लालू कुनबे और राजद में तकरार भी अब छोटी और कमजोर नहीं होगी। अपने दम पर लोकसभा चुनाव की कमान संभालने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को तेजप्रताप यादव की ओर से गंभीर चुनौती मिलने वाली है। लंबे अंतराल से बंद चले आ रहे राजद के जनता दरबार को तेजप्रताप एक—दो दिन में फिर से शुरू करने वाले हैं। तेजप्रताप ने पिछले दिनों सुबह 10 बजे से दरबार लगाने की सूचना दी। मतलब, जनता की समस्याओं को तेजप्रताप जितना सुलझाने की कोशिश करेंगे, भाई तेजस्वी और लालू परिवार की समस्याएं उतनी ही बढ़ेंगी।

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तेजस्वी से चुन—चुनकर बदला लेने की तैयारी

लोकसभा चुनावों के दौरान राजद टिकट के बंटवारे में अपनी अनदेखी से तेजप्रताप इतने आहत हुए कि उन्होंने जिस छोटे भाई तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार किया और अपना अर्जुन कहा, उसी तेजस्वी की तुलना दुर्योधन से करने लगे। स्पष्ट है कि छोटे भाई तेजस्वी को अपना अर्जुन और खुद को कृष्ण बताने वाले तेजप्रताप अब अपने छोटे भाई का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए कतई तैयार नहीं हैं।

मथुरा—वृंदावन से मिल रही नवीन ऊर्जा

चुनावों में राजद की करारी हार के बाद मथुरा-वृंदावन से नई आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर लौटे तेजप्रताप एक तीर से दो निशाना लगाने की फिराक में हैं। एक तो वे राजद की हार के बहाने जनता दरबार में अपने अर्जुन को निशाने पर रखने की तैयारी में हैं। लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार राजद के जीरो पर आउट होने और महागठबंधन की हार के लिए जिम्मेदार लोगों पर तेजप्रताप सीधे हमला करेंगे। वहीं अपने पिता की शैली अपनाने वाले तेजप्रताप इसी बहाने विरासत की जंग का मामला भी सलटा लेना चाहते हैं।

टेंशन में लालू कुनबा, राह हो रही मुश्किल

तेजप्रताप चुनाव के दौरान और उसके बाद तेजस्वी की राह में लगातार कांटे बिछाते जा रहे हैं। चुनाव के दौरान तेजप्रताप अपने भाई के फैसलों में कमियां निकाल उनपर दबाव बनाते रहे और अपने पसंदीदा नेताओं के लिए टिकट का जुगाड़ करते रहे। तब बड़ी बहन मीसा भारती से तेजप्रताप के बागी तेवर को अंदर ही अंदर बल मिल रहा था। इसीलिए वे पाटलिपुत्र सीट से बहन मीसा भारती के लिए चुनाव प्रचार करने भी गए थे। ये और बात है कि वहां रोड शो के दौरान राजद कार्यकर्ताओं से उनके झगड़े-झंझट और पार्टी विधायक भाई वीरेंद्र को मंच पर ही अपमानित करने से नकारात्मक असर पड़ा। तेजप्रताप ने अगर विरोध की हद पार नहीं की होती तो जहानाबाद से राजद प्रत्याशी सुरेन्द्र यादव को महज 1711 वोटों से हार का इतिहास नहीं बनता। उनके प्रत्याशी चंद्रप्रकाश ने आठ हजार वोट काटकर राजद का रास्ता रोक दिया। बिहार में खाता तक नहीं खुलने दिया। ऐसे में तेजप्रताप का ‘तांडव अवतार’ पहले से ही काफी टेंशन में और काफी बीमार चल रहे लालू प्रसाद के लिए भी भारी मुसीबत का सबब बन सकता है।

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