पटना : विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता सिन्धु घाटी की सभ्यता में स्वच्छ रहने का जो तरीका अपनाया गया था वह पूरे विश्व मे अनुकरणीय है। सिन्धु घाटी की स्वच्छता का नमूना शुद्ध रूप से भारतीय परिकल्पना थी। लेकिन आज हम अपनी ही चीज़ों को भूलते जा रहे हैं। बिहार सरकार में अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त और अब आध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले आध्यात्मिक गुरु हरिन्द्रानंद ने आज स्वच्छ भारत, सुंदर भारत नामक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बाते कहीं। पटना के ज्ञान भवन में हरिद्रानंद फाउंडेशन ने स्वच्छ भारत, सुंदर भारत पर एक कार्यशाला का अयोजन किया था।
उन्होंने कहा कि थोड़ा सा प्रयास करके स्वच्छता को प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन मन की निर्मलता और स्वच्छता कठोर तपस्या से ही प्राप्त किया जा सकता है। जब तक हम मन, वचन और कर्म से स्वच्छ नहीं होंगे, तब तक बाहरी स्वच्छता भी नहीं मिल सकती है। सिन्धु घाटी में स्वछता के लिए अपनाई गई तकनीक बेजोड़ थी। उन्होंने कहा कि उपनिषद में शिव को ही सुंदर कहा गया है क्योंकि शिव पहले भी थे आज भी हैं और दुनिया के अंत और उसके बाद भी रहेंगे। रांची से आए अर्चित आनंद ने जीवन मे स्वच्छता पर जोर देते हुए कहा कि स्वछता अपने आपमें ख़ूबसूरत है। स्वच्छ जगह या स्वच्छ व्यक्ति अपने आप मे आकर्षण का केंद्र बन जाता है। अर्चित ने कहा कि स्वच्छता एक मनोवृति है और हमसबको अपने व्यवहार में इसे शामिल करना चाहिए। यदि हम अपने आसपास के गल्ली-कुच्चो और घर को साफ नहीं रख सकते हैं तो हम दूसरों को क्या सुधारेंगे। लेकिन अफसोस कि बात है कि आज ज्यादातर लोगों को स्वच्छता के बारे में जानकारी है लेकिन सक्रिय नहीं होना चाहते हैं। इसके लिए क़ानून और प्रचार का सहारा लेना पड़ रहा है फिर भी रिजल्ट जीरो ही है।बरखा सिंह ने कहा कि पूरी सृष्टि ही भगवान की है और एक छन भी भगवान से प्रेम करते हैं तो आप उनकी सृष्टि को गंदा कैसे कर सकते हैं।
मानस दुबे
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