नई दिल्ली/पटना : पिछले दिनों नगर निकाय चुनाव को लेकर नीतीश सरकार ने अति पिछड़ा आयोग के लिए डेडिकेटेड कमीशन बनाया था। ऐसा बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद जल्दबाजी में तुरंत कमेटी गठन कर किया था। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम अदालत ने इसपर दो दिन पहले ही रोक का आदेश देते हुए स्टे आर्डर भी जारी कर दिया है। इसके बाद आज विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर ले लिया और उनकी मंशा व सवाल उठाया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के स्टे आर्डर की कॉपी शेयर करते हुए कहा कि बिहार में नगर निकाय चुनाव को स्थगित करने के बाद राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट का रुख किया था। वहां कोर्ट के आदेश के बाद 18 अक्टूबर को राज्य की सरकार ने पिछड़ा आयोग के लिए कमीशन का भी गठन कर दिया। जबकि भाजपा समेत समूचा विपक्ष कह रहा था कि नया कमीशन बनाइए। लेकिन नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे और हड़बड़ी में कमीशन का गठन कर दिया। अब नतीजा सामने है जिसने नीतीश सरकार के पिछड़ा विरोधी चेहरे को उजागर कर दिया है।
सुशील मोदी का कहना था कि नीतीश कुमार की मंशा बिहार में निकाय चुनाव को रोकने की थी। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार का मानना था कि उनके द्वारा गठित आयोग जब रिपोर्ट सौंपेगा तो ही बिहार में निकाय चुनाव के लिए रास्ता साफ हो सकेगा। बीजेपी लगातार इसे लेकर और चुनाव स्थगित होने का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ती रही है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निशाने पर आ गए हैं।