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सुपर-30 टैक्स फ्री, लेकिन टिकट प्राइस में अधिक डिस्काउंट नहीं, जानिए क्यों?

पटना विश्वविद्यालय के छात्र मनीष और उसके दोस्तों को जब पता चला कि ऋतिक रोशन स्टारर फिल्म सुपर 30 को राज्य सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया है, तो उन्होंने फिल्म देखने की योजना बनाई। राजधानी पटना के एक सिनेमाघर में टिकट लेने पहुंचे, तो मायूस हो गए। कर मुक्त होने के बावजूद टिकट के मूल्य में कोई खास कमी नहीं हुई थी।

जीएसटी जब आया, तो बड़े जोर—शोर से कहा गया था कि जिन उत्पादों व सेवाओं के मूल्य कम टैक्स के कारण घटेंगे, उसका लाभ आम जनता को मिलेगा। लेकिन, बिहार के सिनेमाघरों के मामले में यह दांव उल्टा पड़ गया। खासकर जब किसी फिल्म को सरकार कर मुक्त करती है, तो पहले के मुकाबले अब अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। इसको ऐसे समझिए।

जीएसटी आने के पहले बिहार में मनोरंजन कर 50 प्रतिशत था। उदाहरण के लिए अगर किसी फिल्म के टिकट का मूल्य 300 रुपए है, तो टैक्स फ्री होने के बाद उसका मूल्य सीधे एक तिहाई घट जाता था। यानी टैक्स फ्री होने के बाद 300 रुपए का टिकट मात्र 200 रुपए में मिलता था। फिर आया जीएसटी। इसके साथ ही मनोरंजन कर 50 से घटकर 18 प्रतिशत रह गया। इसमें केंद्र व राज्य का हिस्सा नौ—नौ प्रतिशत है। मनोरंजन कर घटने के बाद किसी सिनेमाघर में टिकटों के मूल्य कम नहीं हुए। अब हाल में फिल्म ‘सुपर 30’ को बिहार सरकार ने पूरे तामझाम के साथ टैक्स फ्री की है। इसका अर्थ हुआ कि टैक्स फ्री होने के बाद 300 रुपए मूल्य का टिकट 273 रुपए में मिल रहा है। यही फिल्म अगर जीएसटी आने के पहले रिलीज हुई होती, तो टैक्स फ्री होने के बाद इसके टिकट 200 रुपए में ही मिलते।

Prof Jai Deo, former President Cine Society, Patna

इस संबंध में सिने सोसायटी, पटना के पूर्व अध्यक्ष और जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव का कहना है कि जीएसटी आने के साथ ही व्यवसायी वर्ग बेवजह इसका रोना रोने लगा। किसी भी बात पर अब उनका यही तर्क होता है कि जीएसटी आने से उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है, जबकि सच्चाई ऐसी नहीं है। सिनेमाहॉल वाले भी व्यवसायी ही हैं। जब जीएसटी के तहत मनोरंजन कर 50 से घटकर 18 हो गया, तो टिकट के मूल्य कम करने के बजाए, उतना ही रहने दिया। इससे हुआ यह कि पहले से तय रेट के टिकट पर सिनेमाहॉल वालों को ज्यादा फायदा होने लगा और नियम के मुताबिक राज्य सरकार के हिस्से में मात्र 9 प्रतिशत कर के रूप में राशि आने लगी।

प्रो. देव आगे कहते हैं कि यह तो शासन व्यवस्था को नाहक बदनाम करने की साजिश है कि जीएसटी से बिजनेस में नुकसान हो रहा है। कम से कम सिनेमा टिकट के मामले में तो यह झूठी बात है। जीएसटी के बाद सरकारी खजाने में कम राशि जा रही है, दूसरी ओर टिकट के दाम पहले की ही रह गए, बल्कि कहीं—कहीं बढ़े भी, तो सोचने वाली बात है कि लाभ किसको हो रहा? इसका सीधा लाभ सिनेमा प्रदर्शकों को रहा है, जबकि इसका लाभ आम जनता को मिलना चाहिए।