वर्षों से मरम्मत हुई ही नहीं
लगा दिया गया उन्हें युद्व जैसी स्थिति में
जब वाटर बोर्ड को बुडको में कन्वर्ट कर दिया गया तो उसके अधीन संचालित होने वाले 43 सम्प हाउस संचालित क्यों नहीं हुए् ? जब वाटर बोर्ड स्वतंत्र अस्तित्व में था तो इसके पम्पों व मशीनों की रिपेयरिंग बरसात के तीन महीने पहले से शुरू हो जाती थी। पर, अब न तो रिपेयरिंग होती है और न ही इसकी अलग से कोई बैठक ही होती है।
हाथीनुमा इस विभाग का संचालन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुड बुक के अफसर अमरेन्द्र कुमार के जिम्मे है। बीपीएससी के सीनियर अफसर अमरेन्द्र कुमार के बारे में विदित है कि वे टेक्नीकल आदमी नहीं हैं। लोगों ने सवाल पूछना शुरू कर दिया है कि आखिर सम्प हाउसें को संचालित क्यों नहीं किया गया। नालियों की उड़ाही बरसात के पहले क्यों नहीं की गयी?
सम्प हाउस की कुछ मशीनों के खराब होने की सूचना ने आज सबको चैंका दिया। कई मशीनें काम कर ही नहीं रहीं हैं। एक इंजीनियर ने बताया कि पहले तो नालियों में इस कदर कचड़ें हैं कि पुरानी मशीनें उन्हें खिंचने मे कामयाब नहीं। दूसरे, जंग लगीं मशीनों को पहले दुरूस्त नहीं किया गया। हालात इतने बदतर हैं कि मशीनें जवाब देंने लगीं हैं।
सम्प हाउस के ही दूसरे इंजीनियर ने बताया कि सम्प हाउसों में काम करने वाले टेक्नीशियन के रिटायरमेंट के बाद बहाली हुई ही नहीं। नतीजा, सभी मशीनों में जंग लग गयीं हैं।
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर षरा मंगायी गयी मशीनें वे हैं जो कोलियरी से पानी निकालते हैं। वही मशीनें कारगर रह पायीं हैं। सूत्रों ने बताया कि सम्प हाउस को संचालित करने वाले निपुण लोगों की भारी कमी है। नतीजा, न तो मशीन काम कर रही है और न ही सम्प हाउस।