‘सनी लियोनी’ ने तेजस्वी को दिला दिया गुस्सा, कैसे?

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पटना : ‘सनी लियोनी’ के बहाने बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था के लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस मामले को बिहार में गिरती शिक्षा व्यवस्था एवं परीक्षा में हो रही धांधली से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने सनी लियोनी नाम की महिला अभ्यर्थी की जूनियर इंजीनियर (सिविल) नियुक्ति की लिखित जांच परीक्षा में टॉप करने पर कहा कि डबल इंजन की राज्य सरकार अब डबल लूट में लग गई है। मुद्दे पर सियासी सरगर्मी इतनी तेज हुई कि सूबे के अभियंत्रण और लोक स्वास्थ्य मंत्री विनोद नारायण झा को इसपर सफाई देनी पड़ी। मंत्री ने मामले को स्पष्ट करना मुनासिब समझा क्योंकि अभी राज्य में कई परीक्षाएं आयोजित होनी हैं।

क्या है पूरा मामला

बिहार राज्य लोक स्वास्थ अभियंत्रण विभाग द्वारा लिखित परीक्षा में सनी लियोनी ने 98.5 प्रतिशत अंक हासिल कर टॉप किया है। रिजल्ट में उनके पिता का नाम लियोना लियोन दर्ज है। जूनियर इंजीनियर के कुल 200 पदों के लिए 17000 अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था। मंत्री वीएंन झा ने बताया कि परीक्षा का परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है। ऐसे में इसे फाइनल नियुक्ति नहीं कहा जा सकता। अभ्यर्थियों की सूची इसलिए जारी की गयी कि अगर कोई गड़बड़ी हो तो इसमें सुधार किया जा सकता है। फाइनल नियुक्ति दस्तावेजों एवं प्रमाणपत्रों की जांच के बाद ही होगी।

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विशेष सचिव हैरान, कहा हैकर्स की शरारत

विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह समझ से परे है। अगर यह सही है तो वाकई हैरानी भरा है। विभाग का मानना है कि यह किसी शरारती तत्व का कारनामा है।
विशेष सचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘यह समझ से परे और हैरानी भरा है। मैं नहीं जानता कि सनी लियोनी कौन है। लेकिन ऐसा लगता है कि यह किसी ने शरारतपूर्ण तरीके से वेबसाइट पर अपलोड की है। हम इसे दुरुस्त कर लेंगे।’ वेबसाइट पर अपलोड जानकारी के मुताबिक लियोनी महिला हैं और सामान्य (अनारक्षित वर्ग) से आती हैं।

विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि नीतीश चाचा की “फ़र्ज़ी शिक्षा, फ़र्ज़ी डिग्री और फ़र्ज़ी नियुक्ति” जैसी नीतियों के चलते अब बिहार में ‘सनी लियोन’ ने जूनियर इंजीनियर की परीक्षा में टॉप किया है। लगता है कि राज्य की लुटेरी डबल इंजन सरकार में डबल ईंधन का प्रयोग होने लगा है।

शिक्षा में घपलों के कई पड़ाव

यह पहली घटना नहीं है जब सूबे में परीक्षा अथवा नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ हो। 2017 में स्टाफ सेलेक्शन कमिशन द्वारा प्रायोजित क्लर्क ग्रेड की परीक्षा को लेकर हुए विवाद में एक सीनियर आईएएस ऑफिसर सुधीर कुमार समेत दो दर्जन लोग अभी भी जेल में बंद हैं। इंटरमीडिएट टॉपर स्कैम ने तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी थी। लगातार दो वर्ष तक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति विवादों के घेरे में रही। तत्कालीन सचिव तारकेश्वर प्रसाद सिंह समेत तीन दर्जन कर्मी सलाखों के अंदर हैं।
सरकारी विद्यालयों में नियोजित शिक्षकों की भर्ती की जांच निगरानी विभाग कर रहा है। वहीं सिपाही भर्ती में भी भारी गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। कांग्रेस एमएलसी प्रेम चंद मिश्रा ने सिपाही भर्ती में हुई धांधली की जांच की मांग की है।
इसके पूर्व मैट्रिक की परीक्षा में हुई धांधली ने बिहार को बदनाम कर दिया था। बदनामी इतनी हुई थी कि यहां से प्राप्त डिग्री को शक की दृष्टि से देखा जाने लगा। यहां से 10वीं अथवा 12वीं की परीक्षा पास कर अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

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