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वामपंथियों के हाथ खेल रहे हैं तेजस्वी

पटना : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने किसान बिल को लेकर विपक्ष द्वारा किये गए आंदोलन को लेकर काँग्रेस,राजद और वामपंथी दलों के नेताओं को निशाने पर लिया है। राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किसानों के हित में किए गए सुधार भारतीय कृषि के क्षेत्र में एक नए अध्याय की नीव बनेगा।

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने देशभर की जनता और किसानों से अपील करते हुए कहा कि जब देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, लोकल फॉर वोकल हो रहा है तो भारत के उत्पाद का बहिष्कार करने वाले लोगों के मनसूबे को पहचानना होगा। नित्यानंद राय ने कृषि बिल को लेकर दस बिंदुओं को साझा करते हुए कहा कि, “पीएम नरेंद्र मोदी किसानों के सबसे बड़े हितैषी हैं और विपक्ष किसानों को गुमराह कर अपना राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रही है।”

6 साल से मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना चाहती है विपक्ष पर बार बार हाथ लग रही नाकामी

उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी दो गुनी करने के लिए प्रधानमंत्री जी के संकल्प को बाधित करने की साज़िश कुछ स्वार्थी पार्टी के नेताओ ने किया है जो पिछले 6 साल से मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना चाहती है और उन्हें बार बार नाकामी हाथ लग रही है। हर चुनाव में उन्हें मुंह की खानी पड़ती है ये तमाम राजनीतिक पार्टियां जनता के द्वारा ठुकराई हुई है।

किसानों के लिए जितना काम मोदी सरकार ने किया है वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज तक किसी भी सरकार ने नहीं किया । किसानों को सीधे-सीधे 6000 रुपया सालाना अकाउंट में पैसा देने का ऐतिहासिक फैसला आखिर किसका है मोदी जी का ही तो है। किसानों ने जैसे ही विरोध प्रदर्शन शुरू किया सरकार ने उनसे तुरंत बातचीत किया लेकिन इसके पीछे जो राजनीतिक पार्टियां हैं वह इस आंदोलन को हवा देने का काम कर रही हैं और यही वजह है कि किसान संगठनों पर दबाव बनाकर वामपंथी और कांग्रेसी पार्टियों ने वार्ता को विफल बना दिया ।

केंद्र सरकार ने MSP को लेकर लिखित भरोसा दिया है यह जारी रहेगा

राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने MSP को लेकर लिखित भरोसा दिया है की यह जारी रहेगा। सरकार द्वारा मंडी प्रथा को बनाए रखने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त किया गया है और कोई विवाद होने पर इसका निपटारा कोर्ट में होने का भी भरोसा लिखित में दिया गया है । किसानों को भुगतान तय समय सीमा के अन्दर करना होगा अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जायगी । बावजूद इसके राजनीति से प्रेरित कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इसमें अड़ंगा डलवा कर वार्ता को नाकाम बनाया ।

किसान और व्यापारी के बीच एग्रीमेंट सिर्फ़ फसलों के लिये होगा न कि ज़मीन के लिये

किसान और व्यापारी के बीच एग्रीमेंट सिर्फ़ फसलों के लिये होगा न कि ज़मीन के लिये । सेल ,लीज़ और गिरवी समेत ज़मीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा। किसान किसी भी समय बगैर किसी जुर्माने के कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म कर सकते हैं। हकीकत है कि कई राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून लागू है और कई राज्यों ने इसे मंजूरी दे रखी है । नरेंद्र मोदी जी ने 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि इन्फ़्रस्ट्रक्चर फंड बनाया है । बीते 5-6 वर्षों में कृषि मंडियो को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये हैं तथा इन्हें और आधुनिक बनाया जायेगा ।

अन्नदाता के साथ न्याय हो यही मोदी सरकार का संकल्प

किसान हमारे अन्नदाता है दिन रात मेहनत करते हैं तभी जाकर हमारा और आपका पेट भरता है अन्नदाता के साथ न्याय हो यही मोदी सरकार का संकल्प है और किसानो को राहत देने के लिए मोदी जी के नेतृत्व में फार्म बिल को संसद के दोनों सदनों में पारित कराकर उसे कानून का रूप दिया है ताकि हमारा किसान, हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर बन सके। उसे अच्छी आमदनी हो, उसे बिचौलियों के चुंगुल से आज़ाद कराने के लिए बीच और बिचौलियों के हाथों गिरवी खुद को न रखना पड़े, इसी से मुक्ति दिलाने के लिए मोदी सरकार ने इस बिल को पास कराया है और लागू किया है ।

राजद बिहार में फार्म बिल का क्यों विरोध कर रही

उन्होंने कहा कि आज तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद बिहार में फार्म बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं? क्योंकि तेजस्वी यादव वामपंथियों के हाथ में खेल रहे हैं। वामपंथियों के साथ उनका सांठगांठ है। क्या कभी तेजस्वी यादव ने किसानों के दुख दर्द को समझा और समझने का काम किया। बिल्कुल नहीं।

राय ने कहा कि अगर तेजस्वी यादव किसानों के हितैषी होते तो किसानो के हित मे मोदी जी जो काम कर रहे है उसके साथ खड़े दिखाई देते। उन्होंने कहा कि किसान बिल के विरोध में खड़े लोगों से सवाल है कि जब उन्होंने आन्दोलन शुरू किया था तब उनका लक्ष्य क्या था और अब उनका लक्ष्य क्या है।

जिन पोस्टरों और स्लोगन इस्तेमाल आन्दोलन में किये जा रहे हैं उससे साफ़ जाहिर होता है कि इस आन्दोलन के पीछे कौन है और किन तत्वों के इशारे पर आन्दोलन हो रहा हैं। कॉंग्रेस के घोषणा पत्र में कहा है कि किसानो को मंडी के अलावा भी उपज बेचने के अलग विकल्प मिलने चाहिए । यूपीए के कृषि मंत्री इन्ही सुधारों के पक्ष में पत्र लिखते थे, लेकिन अब वे लोग यू – टर्न क्यों ले रहे हैं ?