पटना : बिहारी युवाओं को लक्षित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस ड्रीम योजना ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ को लांच किया था, उसे बिचौलियों ने जबर्दस्त चूना लगाया है। राज्य से बाहर के फर्जी यूनिवर्सिटी और दूसरी शैक्षिक संस्थाओं के दलालों ने इस योजना के जरिये 4100 बिहारी छात्रों के नाम पर 3 करोड़ से अधिक की चपत राज्य सरकार को लगा दी है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से 4 लाख का शिक्षा ऋण पाने वाले छात्रों को पहले तो इन दलालों ने अपने जाल में फंसाया, फिर उनका एडमिशन वैसे संस्थानों में कराया जो मानक से परे हैं, और इसके बाद स्टूडेंट क्रेडिट से मिलने वाला पैसा हड़प लिया।
जब इन छात्रों ने शिकायत की और राजस्थान के एक ही संस्थान से भारी मात्रा में छात्रों द्वारा लोन के आवेदन आए तो बिहार शिक्षा वित्त निगम की जांच में सारा मामला खुल गया। इसके बाद शिक्षा विभाग ने राजस्थान के संबंधित संस्थानों के इंफ्रास्ट्रक्चर और नामांकन प्रक्रिया जांची जिसमें कई अनियमितताएं मिली। पता चला कि ऐसे छात्रों की संख्या 4100 है जो सरकार से लोन लेकर दलालों के चंगुल में फंसकर पैसे गंवा बैठे। सारा मामला सामने आने के बाद बिहार सरकार ने इन छात्रों की फीस की अगली किश्त रोक दी है।
इन संस्थानों में नामांकन के चक्कर में न पड़ें छात्र
बिहारी छात्रों को राजस्थान के मेवाड़ विश्वविद्यालय (चित्तौड़गढ़), संगम विश्वविद्यालय (भीलवाड़ा), विवेकानंद ग्लोबल विश्वविद्यालय (जयपुर), जगन्नाथ विश्वविद्यालय (जयपुर), प्रताप विश्वविद्यालय (जयपुर) में नामांकन से बचने को कहा गया है। साथ ही पंजाब के गुरुगोविंद सिंह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (भटिंडा), लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (जालंधर), चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (पंजाब), हल्दिया इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (बंगाल), संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा (उत्तरप्रदेश), आईईएस कॉलेज ऑफ टेक्नॉलॉजी भोपाल (मध्यप्रदेश) के नाम पर झांसे से बचने की सलाह है। बिहार के भी तीन संस्थान—मारवाड़ी कॉलेज (किशनगंज), नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट (पटना) और प्रभु कैलाश पॉलिटेक्निक (औरंगाबाद) में भी नामांकन के बाद छात्र फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं।