‘सृजन’ घोटाले में अब एक आईएएस व एक आईपीएस जायेंगे जेल, मिले पुख्ता सबूत

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पटना : सृजन घोटाले में एक वरीय आईएएस अधिकारी व एक वरीय पुलिस अधिकारी के विरूद्ध सीबीआई को पुख्ता प्रमाण मिल गए हैं। इन अधिकारियों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। राज्य सरकार से अनुमति मांगी गयी है, ताकि उनके विरू़द्ध विधि सम्मत कार्रवाई त्वरित गति से शुरू की जा सके। ये दोनों अधिकारी पूर्व में भागलपुर में पदस्थापित थे। इनके खाते में सृजन महिला विकास समिति के खाते से लेनदेन के पुख्ता प्रमाण जांच एजेसी को मिल गए हैं। कानून के घेरे में आए आईएएस अधिकारी फिलहाल सचिवालय में विशेष सचिव के पद पर आसीन हैं। जब वे भागलपुर के जिलाधिकारी थे तब सृजन के खाते में सबसे अधिक सरकार के पैसे जमा हुए थे। इस अधिकारी का संबंध महागठबंधन के कद्दावर नेता से बहुत अच्छे रहे हैं। पिछली महागठबंधन सरकार के समय उक्त नेता ने उस अधिकारी को पटना का जिलाधिकारी बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन, सृजन घोटाले की पोल खुलने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारी दबाव के बावजूद उन्हें पटना का डीएम बनाने से इनकार कर दिया था। वहीं डीलडौल वाले आईपीएस अधिकारी वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में ही आईजी के पद पर तैनात हैं। इन दोनों अधिकारियों के खाते में करोड़ों रूपए जमा किए गए थे। उक्त आईपीएस अधिकारी का नाम पूर्व में सिपाही बहाली में हुई गड़बड़ी मेें भी आया था। ये महोदय कुछ दिन पटना के एसएसपी भी रहे हैं। उक्त दोनों वरीय नौकरशाहों पर कार्रवाई के बाद कई अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध भी कार्रवाई का रास्ता साफ हो जाएगा। झारखंड के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के कारण सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में कार्रवाई की गति को धीमी कर दी थी। इस मामले में सरकार की भी छवि धूमिल होने लगी थी। सीबीआई में उस अधिकारी की पकड़ कमजोर होते ही कार्रवाई ने अब गति पकड़ ली है। अब सरकार की अनुमति की प्रतीक्षा है। अनुमति की प्रक्रिया तेज कर दी गयी है। संभव है कि एक सप्ताह के अंदर इन दोनों अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई का अनुमोदन प्राप्त हो जाए। सृजन घोटाले के खुलासे के साथ ही राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी थी। बीच में सीबीआई के टालू रवैये के कारण सरकार की मंशा पर भी सवाल उठने लगे थे। अभी इस मामले में छोटे अधिकारियों व कर्मचारियों पर ही कार्रवाई हुई है। ऐसे में इस मामले को लेकर जन—अवधारण बन रही थी कि सरकार बड़े भ्रष्टाचारियों को बचा रही है।
रमाशंकर

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