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कहीं सीएम न बदल दे जातीय जनगणना!

नीतीश कुमार के पीएम बनने की आकांक्षाओं ने फिर से हिलोरे मारने लगी है। उनकी इस आकांक्षा को उनके नजदीकी ने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मटेरियल घोषित कर हिडेन एजेंडे को सतह पर लाया।

बीते दिन उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के पीएम मटेरियल का प्रस्ताव लेकर आये थे, जिसे सर्वसम्मति से पास कर लिया गया। इसको लेकर कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के पीएम मटेरियल को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं रहे, इसलिए हम प्रस्ताव लेकर आये थे, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है। फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन ने पीएम मटेरियल के प्रस्ताव को लेकर कहा कि नीतीश कुमार में पीएम बनने की सारी योग्यता है, नीतीश कुमार की योजना को केंद्र सरकार व कई राज्य सरकारें बाद एडॉप्ट किया है। इसलिए हमारे नेता में पीएम बनने की सारी योग्यता है। हालांकि, ललन सिंह ने डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा कि नीतीश कुमार पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं।

जातीय जनगणना पर भाजपा में दो फाड़ होने की बात

विदित हो कि विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद किसी तरह मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार अपने प्रमुख सहयोगी भाजपा के प्रमुख एजेंडे को निष्प्रभावी बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई शुरू कर दी है। सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण पर कानून की बात को खारिज करते हुए जागरूकता से नियंत्रण की बात कही। इसके बाद जातीय जनगणना का मुद्दा बनाकर भाजपा में दो फाड़ होने की बात कही। दो फाड़ की बातें नीतीश के पुराने व नए साथी उपेंद्र कुशवाहा ने कही।

चेहरा नीतीश लेकिन सबकुछ नहीं

हालांकि, नीतीश अपने आप को पीएम मटेरियल कहलवाकर अपनी कुर्सी को फिर से खतरे में डाल रहे हैं। क्योंकि, वे जिन मुद्दों का सहारा लेकर भाजपा पर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। उसी मुद्दे पर उनके बाद पार्टी के सबसे ताकतवर नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के विचार भाजपा के विचार से मिल रहे हैं। जातीय जनगणना पर आरसीपी कह चुके हैं कि आज आरक्षण उस तरह का मुद्दा नहीं है, जैसा 70-80 के दशक में हुआ करता था। आरसीपी ने कहा था कि अंग्रेजों ने साम्राज्य विकसित करने के लिए जनगणना की बात करते थे।

इसके अलावा आरसीपी जदयू के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि मुझे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना प्रधानमंत्री का बड़प्पन है, क्योंकि उनके पास तो बहुमत से ज्यादा संख्या है, अगर वे मुझे मंत्रिमंडल में शामिल कर रहे हैं तो ये सहयोगियों के प्रति उनका सम्मान है। इसके अलावा आरसीपी ने प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के प्रति आभार जताते हुए कहा था कि 43 सीट होने के बावजूद भाजपा ने हमारे नेता को मुख्यमंत्री बनाया।

बदल सकता है बिहार NDA के नेतृत्व का स्वरूप

पार्टी लाइन से अलग होकर आरसीपी का मोदी व भाजपा के पक्ष में बयान देने के कई मतलब हैं। बयानों के माध्यम से अब आरसीपी यह संकेत दे रहे हैं कि जदयू का चेहरा बेशक नीतीश कुमार हैं लेकिन, वे हीं सबकुछ नहीं हैं। वहीं, दबी जुबान यह चर्चा होती है कि आरसीपी के रहते भाजपा के खिलाफ जदयू ज्यादा हल्ला नहीं मचाएगी, अगर नीतीश के सारे वफादार जनसंख्या नियंत्रण व जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार की भाषा बोलते रहे तो बिहार में एनडीए सरकार का स्वरूप बदल सकता है।

पोस्टर से तस्वीर हटा दिया संदेश

बहरहाल, नीतीश के इस प्रेशर पॉलिटिक्स को भाजपा ने सांकेतिक जवाब दे दिया है। हाल ही में आरा में ओवरब्रिज के उद्घाटन को लेकर जो पोस्टर बैनर बने थे, उसमें नीतीश कुमार की तस्वीर को जगह नहीं दी गई थी। साथ ही कार्यक्रम में प्रमुख नेताओं के तौर पर सिर्फ भाजपा के नेताओं को बुलाया गया था।

वहीं, आगे की योजना को लेकर कहा जा रहा है कि अगर नीतीश कुमार भाजपा के एजेंडे को निष्प्रभावी बनाने के लिए नए-नए तिकड़म अपनाते रहेंगे तो भाजपा भविष्य में बड़ा निर्णय ले सकती है। वहीं, जदयू के इस चाल को भाजपा के नीति निर्धारक समझ रहे हैं, ऐसे में नीतीश के जगह कोई दूसरा व्यक्ति बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकता है। जिसमें यादव, मुस्लिम और कुशवाहा जाति से कोई हो सकता है।

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