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तो क्या टूट जाएगा राजनीति का सबसे बड़ा मिथक !

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में वोटों की गिनती को 2 घंटे पूरे हो चुके हैं। रुझानों में भाजपा को बहुमत मिल रही है। भाजपा ने 203 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। सपा भी 100 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है। तीसरे नंबर की पार्टी बसपा दहाई अंक भी पार करते हुए नजर नहीं आ रही है। गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ आगे चल रहे हैं तो करहल से अखिलेश यादव भी आगे नजर आ रहे हैं। वही काशी विश्वनाथ से भाजपा उम्मीदवार नीलकंठ तिवारी पीछे चल रहे हैं, इनके साथ हैं केशव प्रसाद मौर्य जी भी अपने विधानसभा सीट से पीछे चल रहे हैं।

ऐसे में शुरुआती रुझानों को सच माने तो उत्तर प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनती हुई दिख रही है। वह है भाजपा की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश को लेकर कई मिथक टूटते हुए भी नजर आ रहे हैं। सबसे पहला मिथक यह है कि यूपी में आजादी के बाद कोई भी सीएम 5 साल का कार्यकाल खत्म कर दोबारा फिर से सत्ता के सिंहासन पर काबिल नहीं हो पाया है। लेकिन रुझानों की मानें तो अब यह मिथक टूटता हुआ नजर आ रहा है।

वहीं,चुनाव नतीजे के बाद बीजेपी नेतृत्व यदि योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करता है, तो वे भाजपा के ऐसे पहले नेता हो जाएंगे जो लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। साथ ही सूबे में एक पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने वाले भी पहले व्यक्ति बन जाएंगे। यूपी में अभी तक कोई भी सीएम सत्ता में रहते हुए लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बन सका।

नोएडा आने का मिथक भी टूटेगा

इसके साथ उत्तर प्रदेश की सियासत में एक मिथक यह भी माना जाता है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है और पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कई मुख्यमंत्री तो नोएडा आने से बचते रहे. विकाय योजना का उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर नोएडा जाने की जरूरत पड़ती है तो कुछ मुख्यमंत्रियों ने लखनऊ या फिर किसी अन्य स्थान से ही इस काम को पूरा किया। सूबे में योगी ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो नोएडा आने के भय के बजाय वहां कई बार पहुंचे। इस तरह 5 साल मुख्यमंत्री रहते हुए 40 बार नोएडा आकर उन्होंने एक मिथक तो तोड़ दिया है, लेकिन अब देखना यह है कि सीएम बनकर दूसरा मिथक भी तोड़ पाते हैं या नहीं। क्योंकि इससे पहले

इस अंधविश्वास का खौफ इतना अधिक है कि अखिलेश यादव बतौर CM एक बार भी नोएडा नहीं आए। उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी। हालांकि, इस बार ये मिथक टूटता नजर आ रहा है। भाजपा फिर से सरकार बनाती दिख रही ।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश में डेढ़ दशक से जो भी नेता सीएम बना है, वो विधानसभा के बजाय विधान परिषद का सदस्य रहा है। मायावती से लेकर अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ तक सभी मुख्यमंत्री विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ऐसे पहले नेता हैं जो बीते डेढ़ दशक में बतौर मुख्यमंत्री विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी इस बार विधानसभा चुनाव में उतरे हैं। संयोग यह भी है कि योगी विधानसभा का पहला चुनाव लड़ रहे हैं तो यह देखना भी दिलचस्प होगा कि बतौर मुख्यमंत्री त्रिभुवन नारायण सिंह को हरा देने वाले गोरखपुर का मुख्यमंत्री को पटखनी देने का मिथक किस तरह टूटता है।